घटना होने के बाद जागने की शायद सरकार की पुरानी आदत है। भले ही राजधानी में सुरक्षा की जिम्मेवारी दिल्ली सरकार के कंधों पर न हो लेकिन कामकाजी महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए शीला सरकार आगे आई है। आज एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो महिलाएं नौकरी करती हैं, उन्हें घर तक या घर के समीप किसी सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने की जिम्मेवारी उस संस्थान की हैं जहां वह काम करती है। इसके लिए उन्होंने श्रम आयुक्त से आदेश जारी करने के लिए कहा है। सोमवार को आदेश जारी हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्दियों में शाम सात बजे और गर्मियों में आठ बजे के बाद महिलाओं को उनके घर तक पहुंचाना जरूरी है। सभी बीपीओ, मीडिया दफ्तरों और अस्पतालों से इन निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा जा रहा है। सरकार का मानना है कि ऐसी व्यवस्था लागू होने से बहुत हद तक कामकाजी महिलाएं सुरक्षित हो सकेंगी।
बलात्कार के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत के गठन के नॉर्थ-इस्ट हेल्पलाइन की प्रतिनिधियों के सुझाव पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर विचार किया जाएगा। मगर इस मामले में अंतिम निर्णय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को लेना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष अदालत के गठन से पीडि़त पक्ष को जल्द न्याय मिल सकेगा।
बैठक में दिल्ली पुलिस की तरफ से भरोसा दिलाया गया कि संकट के समय उत्तर-पूर्व की महिलाओं द्वारा की गई कॉल के दौरान भाषा की परेशानी दूर करने के लिए हेल्पलाइन पर सुपरवाइजर तैनात कि ए जाएंगे। हालांकि यह कब तक हो पाएगा इस विषय में कोई निश्चित समय सीमा नहीं बताई गई है।
दिल्ली नगर निगम से कहा जा रहा है कि उन कॉलोनियों में सभी संकेतक सही होने चाहिए और रात में बत्तिया जलती रहें, जहां ज्यादा संख्या में उत्तर पूर्व की महिलाएं रहती हैं। प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि महिलाओं के साथ बदसलूकी के मामलों की हर दिन सुनवाई हो और इसके लिए फास्ट ट्रैक अदालतें हों। शीला दीक्षित ने कहा कि एनईएमपी फोरम और एनई हेल्पलाइन के साथ आगे भी विचार विमर्श करेंगी ताकि उत्तर पूर्व की महिलाओं में सुरक्षा और भरोसे की भावना का संचार हो सके।
वादे हैं वादों का क्या
मुख्यमंत्री ने आज बैठक में यह भी कहा कि सरकार डीटीसी बसों पर महिलाओं की मदद के लिए सभी हेल्पलाइन नंबर प्रचारित करेगी। हालांकि ऐसा ही वायदा आज से सात साल पहले 18 दिसंबर 2003 को सिंधिया हाउस में हुई परिवहन विभाग की एक बैठक में भी किया गया। बैठक में परिवहन विभाग ने सुरक्षा के लिहाज से डीटीसी की बसों में हेल्पलाइन नंबर लिखने का वादा किया था। यह नंबर थे- 9604, 400-400 और 1091। इन्हें डीटीसी की बसों के अंदर और बाहर मोटे अक्षरों में लिखा जाना था। यह वायदा किन फाइलों में दब गया, कोई नहीं जानता।
इन नंबरों से पा सकते हैं मदद
दिल्ली पुलिस के हेल्पलाइन नंबर हैं- 100, 1090, 1091 और 23317004। इसके अलावा दिल्ली महिला आयोग ने दुष्कर्म मामलों के लिए 24 घटे की हेल्पलाइन शुरू की है। यह है 23370557। इसका एक टोल-फ्री नंबर 1800-11-9292 है। संकट में महिलाएं 23379181 पर भी संपर्क कर सकती हैं(दैनिक जागरण संवाददाता,दिल्ली,4.12.2010)।
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