सरकारी अधिकारियों का रवैया काफी ढीला-ढाला होता है। लोगों की नजर में ये अधिकारी काफी लापरवाह होते हैं। किसी भी मामले को निपटाने में काफी समय लेते हैं। लेकिन अब लगता है कि इनकी लापरवाही और ढुलमुल रवैये में बदलाव आने वाला है। दरअसल यूपी सरकार ने लोगों की शिकायत के समाधान को लेकर सख्त निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के मुताबिक शिकायतों के समाधान की क्वॉलिटी और क्वांटिटी संख्या के आधार पर तहसीलों और जिलों के अधिकारियों को ग्रेड दिए जाएंगे। इससे उनकी परफॉर्मेंस का भी आकलन हो सकेगा। परफॉर्मेंस खराब होने पर संबंधित अधिकारियों को ट्रांसफर का दंश झेलना पड़ सकता है। जाहिर है इस निर्देश के बाद अधिकारियों को आम लोगों की शिकायतों को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है।
सरकारी अफसरों से शिकायत के जल्द समाधान की उम्मीद करना बेमानी है। दरअसल आम आदमी की नजर में सरकारी अधिकारियों की खराब छवि की वजह उनकी ढुलमुल कार्यशैली ही है। शायद शासन की तरफ से ग्रेडिंग सिस्टम लागू किए जाने से अधिकारियों का नजरिया और कार्यशैली दोनों में बदलाव आने की संभावना है। इसके तहत शिकायतों के समाधान की क्वॉलिटी और संख्या के आधार पर तहसील व जिलों के अधिाकारियों की गे्रडिंग होगी। ग्रेडिंग के लिए हर शिकायत की डिटेल कंप्यूटर में फीड होगी। जिसमें शिकायत की तारीख के साथ-साथ उनके समाधान की तारीख भी फीड होगी। यह डिटेल इंटरनेट पर डाला िजाएगा। इसी आधार पर तहसीलों और जिलों में अफसरों की ग्रेडिंग होगी। जिस तहसील या जिले की ग्रेडिंग अच्छी होगी, वहां यह समझा जाएगा कि उस तहसील या जिले के अधिकारी आम लोगों की समस्याओं को लेकर गंभीर हैं। लेकिन जहां का रेकॉर्ड खराब होगा, वहां के अधिकारियों पर लखनऊ में बैठे सीनियर अफसरों की कड़ी निगाह रहेगी। लगातार रेकॉर्ड खराब होने पर संबंधित अधिकारियों को ट्रांसफर कर महत्वहीन पदों पर भी भेजा जा सकता है।
इस बाबत गौतमबुद्धनगर के डीएम दीपक अग्रवाल ने बताया कि जिले के सभी अधिकारियों को शासन के ग्रेडिंग सिस्टम से अवगत करा दिया गया है। साथ ही उन्हें शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए उसका निस्तारण करने के निर्देश दे दिए गए हैं। अगर कोई अधिकारी इसके बावजूद भी लापरवाही करने का दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी(पवन सिंह,नवभारत टाइम्स,ग्रेटर नोएडा,10.12.2010)।
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