नए दौर में युवाओं को यह बात अच्छी तरह समझनी होगी कि सन 2011 के औद्योगिक व सूचना क्रांति के युग में कॅरियर संबंधी कई विकल्प उनके सामने खुल गए हैं। इसमें सफलता उन्हीं को मिल सकती है, जो पहले से योजना बनाकर लक्ष्य निर्धारित करता है और उसे पूरी तरह अमल में लाता है। वैसे तो कॅरियर प्लानिंग किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन यदि आठवीं से प्लानिंग करके आगे बढा जाए, तो सफलता के चांसेज सौ प्रतिशत होते हैं। यदि आप भी इसमें विश्वास करते हैं, तो हम आपकी सुविधा के लिए आठवीं क्लास से लेकर ग्रेजुएशन तक के स्टूडेंट्स के लिए कॅरियर प्लानिंग 2011 दे रहे हैं, ताकि आप इसके आधार पर कॅरियर प्लानिंग करके नए साल में कॅरियर की नई उडान भर सकें, जो आपके सपने, पसंद और दृढ निश्चय के रूप में हों।
क्यों है जरूरी
दुनिया बडी तेजी से बदल रही है और प्रतिस्पर्धा जबरदस्त है, इसलिए कॅरियर की सही तरीके से प्लानिंग करने वाला स्टूडेंट ही आगे निकल पाता है। अब प्रोफेशनल कोर्स कॅरियर को नई ऊंचाई दे रहे हैं। इसमें सफलता के लिए प्लानिंग का अहम रोल हो गया है। सही प्लानिंग लक्ष्य निर्धारित करने और उसे हासिल करने में बहुत मददगार होती है।
कैसे करें प्लानिंग
नई पीढी का स्लोगन है-इन्फॉर्मेशन इज पॉवर। न्यूजपेपर, मैगजीन, रेडियो, टीवी और इंटरनेट-इन सभी माध्यमों से प्राप्त इन्फॉर्मेशन को आधार बनाकर कॅरियर प्लानिंग कर सकते हैं। कॅरियर की प्लानिंग के दौरान स्टूडेंट खुद की क्षमता और रुचि को सामने रखे, फिर संबंधित क्षेत्रों में संभावनाओं के बारे में पता करे। इसके बाद निर्णय लेने की बारी आती है और अंत में जब लक्ष्य तय हो जाए, तब उस पर डटे रहना जरूरी है। अपने अंदर की आवाज को सुनने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए सेल्फ एनालिसिस जरूरी है। हर स्टूडेंट के अंदर कुछ खूबियां और कुछ खामियां होती हैं। इसलिए अपनी ताकत और कमजोरी दोनों को ध्यान में रखते हुए लक्ष्य तय करना चाहिए। कुछ स्टूडेंट्स अपनी क्षमता को ध्यान में नहीं रखते हुए बहुत बडा एंबिशन पाल लेते हैं, जिसका अंत अच्छा नहीं होता। बडा लक्ष्य जरूर रखना चाहिए, लेकिन अपनी क्षमताओं और सीमाओं का सही मूल्यांकन भी तो जरूरी है।
आठवीं के स्टूडेंट्स
8 से 14 वर्ष की ऐज ग्रुप के बच्चों का माइंड बिल्कुल कोमल होता है। ऐसे बच्चों पर किसी भी चीज का शीघ्र और तीव्र प्रभाव पडता है। लगभग इसी ऐज ग्रुप के बच्चे कक्षा-8 के स्टूडेंट्स होते हैं। इन्हें किसी भी तरफ उनकी रुचि के अनुसार मोडा जा सकता है। यह कार्य एक माली की भूमिका में अभिभावक निभा सकता है। अभिभावक का दायित्व है कि बच्चे को पढाई में कंसन्ट्रेट करके लक्ष्य की ओर ले जाएं। यदि बच्चा मैथ में तेज है तो बेहतर होगा उसे उसी क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित करें। बच्चे को बेहतर स्टडी का तरीका, डाइट का बैलेंस्ड रखना, खेलकूद यानि आउटडोर ऐक्टिविटीज के बारे में जानकारी देना, उसे उर्वराशक्ति प्रदान करने जैसा है। बच्चे को केवल प्रेरित करें, उस पर अपनी रुचि न थोपें, तो बेहतर होगा।
टीचर का रोल अहम
डीपीएस आजाद नगर की प्रधानाचार्या रचना मेहरोत्रा बताती हैं कि अब सीबीएससी पैटर्न ही कॅरियर बेस्ड हो गया है, जिसमें स्टूडेंट्स की संपूर्ण एक्टीविटीज का समावेश है। टीचर उसकी एक्टीविटीज को ध्यान में रखकर यदि उनके अंदर छुपी प्रतिभा को पहचानकर निखारे, तो आठवीं क्लास से ही स्टूडेंट्स बेहतर पोजीशन में होगा। हमारे स्कूल के आठवीं की छात्रा सना राउफ की प्रतिभा और शूटिंग के प्रति समर्पण भावना देखकर उसे शूटिंग से रिलेटेड बारीकियों से वाकिफ कराया गया। परिणामस्वरूप पहले स्टेट लेवॅल में शूटिंग का कौशल दिखाया, अब वह शूटिंग में नेशनल लेवॅल पर सेलेक्ट हुई। कहने का आशय यह है कि इस ऐज ग्रुप के प्रति अभिभावक, टीचर और सहपाठी का नि:स्वार्थ लगाव होना चाहिए, तभी प्रतिभाएं निखरेंगी।
सपनों को दें पंख
आर्चीज हायर सेकेंडरी स्कूल, श्यामनगर के प्रधानाचार्य मयंक बाजपेयी का कहना है कि आठवीं में आते ही स्टूडेंट्स में संभावनाएं दिखने लगती हैं। कुछ बच्चे गणित में तेज होते हैं, तो कुछ खेल या फिर अन्य विधा में प्रवीण। यदि बच्चे की स्किल्स पहचान कर उसे उसी फील्ड में आगे बढने का मौका दिया जाए तो वह निश्चित सफल होगा। बस जरूरत है बच्चे के सपनों को पंख देने की। यदि संबंधित विषय में पकड है, तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित परीक्षा जैसे कि ओलंपियाड आदि में भी भेज सकते हैं।
पैरेंट्स का महत्वपूर्ण रोल
कभी यह न सोंचे कि डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस, मैनेजमेंट की पढाई ही महत्वपूर्ण हैं। अपने बच्चे की रुचि एवं क्षमता के अनुसार विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर उसके उज्ज्वल करियर के लिए आकर्षक विकल्प को चुनें। इसमें काउंसलर आपके बच्चे के प्रोफेशन चयन में सहायता कर सकते हैं। यदि आपका बच्चा किसी विषय में बहुत तेज है और आप उसे उसी विषय में आगे देखना चाहते हैं, तो उस क्षेत्र से संबंधित सारे विकल्प उन्हें बताएं और आगे बढने के लिए प्रेरित करें, ताकि वह और मेहनत करे। कहने का आशय यह है कि यदि उसे हॉकी खेलना पसंद है तो कतई सचिन तेंदुलकर बनने का सपना न देखें और न दिखाएं। यदि बच्चा इंजीनियर बनना चाहता है तो अभिभावक को आईआईटी-जेईई जैसी परीक्षाओं के बारे में नॉलेज होना जरूरी है।
एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज
इस उम्र में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है। आजकल स्कूलों में अनेक तरह के सांस्कृतिक और मनोरंजक कार्यक्रम होते हैं, जिनमें विभिन्न स्कूलों के स्टूडेंट्स भाग लेते हैं और पुरस्कार जीतते हैं। यदि आपके बच्चे की इसमें रुचि है, तो प्रोत्साहन दें और आगे बढने के लिए प्रेरित करें। कॅरियर प्लानिंग में उन गतिविधियों की भी समीक्षा करना जरूरी है, जो आप कोई कार्य न होने पर करते हैं। यह बात कुछ अटपटी लग सकती है कि नॉन-वर्क एक्टिविटीज पर कॅरियर प्लानिंग के दौरान क्यों विचार किया जाए, मगर ऐसा नहीं है। कई बार आपकी हॉबी आपके भविष्य के कॅरियर पथ के बारे में काफी कुछ तय कर सकती है।
10 वीं के स्टूडेंट्स
कॅरियर प्लानिंग का सबसे उचित समय 10 वीं कक्षा पास करने के बाद माना जाने लगा है। कॅरियर प्लानिंग के लिए किसी अनुभवी कॅरियर काउंसलर का मार्गदर्शन उपयोगी होता है। यह जरूरी है कि स्टूडेंट्स की अभिरुचि, दक्षता और क्षमता का मूल्यांकन करके 10 वीं के बाद उपयुक्त विषय चयन कर उजली डगर पर आगे बढने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। ऐसा होने पर विद्यार्थी अपनी पूरी शक्ति और परिश्रम से निर्धारित कॅरियर की डगर पर आगे बढ पाते हैं। यदि स्टूडेंट्स को मालूम हो कि कौन से कोर्स कॅरियर को ऊंचाईयां देने वाले हैं, कौन सी शिक्षण संस्थाएं वास्तव में श्रेष्ठ है, प्रगति के लिए कौन सी योग्यता और विशेषता जरूरी है, तो निश्चित रूप से उनका परिश्रम और समय का पूर्णरूपेण सार्थक उपयोग हो पाएगा। सामान्यत: हाईस्कूल स्तर की 10 वीं कक्षा के बाद 11वीं में प्रवेश के समय प्रमुख रूप से पांच विषयों में से किसी एक विषय को चुना जाता है। ये विषय है गणित, जीव विज्ञान, वाणिज्य, कला तथा कृषि। इन मूल विषयों में से किसी एक विषय को चुनने के साथ-साथ कोई एक अतिरिक्त विषय भी लेने की व्यवस्था कई हायर सेकंडरी स्कूलों में उपलब्ध है। जैसे कॉमर्स विथ मैथ्स, बायोलॉजी विथ बायोटेक्नोलॉजी, मैथ्स विथ फिजिकल एजुकेशन आदि उपयुक्त विषय चुनकर उनकी पढाई के साथ-साथ दो वषरें तक स्टूडेंट प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर सकती है, जिसमें उसे 12वीं के बाद सम्मिलित होना है। यदि स्टूडेंट औसत योग्यता का है या फिर उसे पारिवारक परिस्थिति के कारण जल्दी धनार्जन करना आवश्यक है, तो उसे 10 वीं के बाद ऐसे कोर्स चुनने चाहिए, जो उसका व्यावसायिक कौशल बढाकर उसे रोजगार दिला सके।
10+2 के स्टूडेंट
बाहरवीं में पहुंचने पर स्टूडेंट अपनी चयनित फील्ड के अनुसार बोर्ड परीक्षा की तैयारी के साथ उसकी तैयारी भी करे। यदि स्टूडेंट ने इंजीनियरिंग क्षेत्र का चयन किया है तो आईआईटी-जेईई,एआईईईई तथा स्टेट लेवॅल इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं। सारा सिलेबस इंटरमीडिएट लेवॅल का होता है। इसी प्रकार यदि मेडिकल, सीए, सीएस, मैनेजमेंट करने का मन बनाया है तो उसी के अनुरूप अपनी पढाई को आगे बढाएं तो बेहतर होगा।
नौकरी या पढाई
स्टूडेंट्स अपनी रुचि के मुताबिक विषय चयन करता है तो कामयाबी की इबारत लिख सकता है। 10 वीं में पढाई के दौरान स्टूडेंट को पूर्व में लिए गए निर्णय में अडिग रहने की जरूरत होती है। पैरेंट्स को चाहिए कि जिस क्षेत्र में जाने का स्टूडेंट ने मन बनाया है, उस क्षेत्र में कॅरियर के संबंध एवं विकल्पों के बारे में जरूर बताएं। सिस्टेमेटिक पढाई के लिए उसे उसका संकल्प ध्यान दिलाते रहें और पढाई के प्रति प्रेरित करते रहें। यदि प्लानिंग के तहत आपका बच्चा आगे बढ रहा है, तो सही है अन्यथा उसके लिए फिर से कॅरियर प्लानिंग करने का यही राइट टाइम है। 10+2 के परीक्षा समाप्त होने के बाद स्टूडेंट्स स्ट्रीम चयन को लेकर असमंजस की स्थिति में रहते हैं। उनके समक्ष यह भी दुविधा रहती है कि वह ग्रेजुएशन करे या फिर प्रोफेशनल कोर्स। यदि पहले से लक्ष्य निर्धारित होता है, तो उसे आगे बढने में अधिक परेशानी नहीं होती है। टीचिंग, लॉ जैसे तमाम कोर्स कॅरियर के रूप में चुने जा सकता हैं। जो स्टूडेंट्स अधिक प्रतिभाशाली हैं, उन्हें उपयुक्त स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्स की ओर बढना चाहिए। कला के छात्रों के लिए अर्थशास्त्र हिंदी, अंग्रेजी, भूगोल, विधि, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान आदि मानविकी विषयों में कॅरियर होते हैं। कॉमर्स के छात्रों के लिए वित्त, बैकिंग, सीए, सीएम, सीएफए, कास्ट एकाउंटेंसी, बीमा, विपणन, विदेश व्यापार आदि में कॅरियर होते हैं। इतना ही नहीं गणित, रसायन और भौतिक शास्त्र में विशेषज्ञता किए जाने पर कॅरियर की आपार संभावनाएं भी बढ जाती है। कॅरियर निर्धारित करते समय पहली कॅरियर प्राथमिकता के साथ-साथ कॅरियर की दूसरी प्राथमिकता के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। इस संदर्भ में स्वरोजगार, कृषि, तकनीकी, पैरामेडिकल, कंप्यूटर और कॉमर्स इत्यादि क्षेत्रों में ऐसे कई रोजगार उपलब्ध हैं, जो छोटे-छोटे डिप्लोमा करने के बाद शुरू किए जा सकते हैं।
स्नातक के स्टूडेंट्स
इस समय स्टूडेंट्स को खुद निर्णय लेना होता है। पैरेंट्स या टीचर की भूमिका गौण हो जाती है। आर्ट्स, कॉमर्स या साइंस में चाहें किसी भी स्ट्रीम से आप स्नातक कर रहे हैं तो पूर्व प्लानिंग को ध्यान में रखते हुए स्टडी करें। प्रथम वर्ष से ही यदि सिलेबस का गहन अध्ययन करेंगे तो तृतीय वर्ष तक सिलेबस पर अच्छी पकड बना लेंगे। यदि आप सिविल सेवा परीक्षा में जाना चाहते हैं, तो पहले ही वैकल्पिक विषय का चयन कर लें और उसी के अनुरूप पढाई की तैयारी करें। यदि आपने शिक्षण कार्य को कॅरियर बनाने को सोचा है, तो आप इसके लिए भी तैयारी कर सकते हैं। स्नातक के बाद आप सिविल सेवा, डिफेंस सर्विस, एमबीए, इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि क्षेत्रों में कॅरियर बनाने के साथ आगे की पढाई कर सकते हैं।
सेल्फ एसेसमेंट टूल्स है उपयोगी
कोई भी कॅरियर चुनने से पहले अपनी वैल्यूज, इंटरेस्ट और स्किल्स के बारे में जानें। साथ ही अपने व्यक्तित्व के गुणों की पहचान भी करें। इससे आप आसानी से ये जान पाएंगे कि कैसा और किस फील्ड का कॅरियर आपके लिए सही रहेगा और कौन-सा गलत। इसके लिए आप सेल्फ एसेसमेंट टूल्स जैसे कॅरियर टेस्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जो इंटरनेट पर आसानी से मिल जाते हैं।
लॉन्ग टर्म विजन जरूरी
डीएवी कालेज के फिजिक्स के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.देवेश दुबे का कहना है कि कॅरियर प्लानिंग का सबसे महत्वपूर्ण भाग आपका विजन होता है। यह जानना बेहद जरूरी है कि आप क्या बनना चाहते हैं और असल में क्या हासिल करना चाहते हैं। एक लॉन्ग टर्म विजन होना बहुत जरूरी है, पर यह भी इतना ही जरूरी है कि आप अपने शॉर्ट टर्म गोल्स को लॉन्ग टर्म विजन के हिसाब से ही डिसाइड करें। सही कॅरियर प्लानिंग के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि इसे सही वक्त पर प्लान किया जाए। जीवन में जल्दी कॅरियर प्लान करना सही साबित होता है। इससे आपके पास प्लानिंग को फॉलो करने के लिए काफी समय होता है। इस प्रक्रिया में आप ज्यादा से ज्यादा सीख सकते हैं और अपने कॅरियर से जुडी बारीकियों को समझ सकते हैं।
किन बातों का रखें ध्यान
कॅरियर प्लान करते हुए अपने फील्ड से जुडी सभी छोटी-बडी बातों का पूरा ध्यान रखना चाहिए। जॉब से जुडी डिटेल्स और जरूरतों को समझना, उस फील्ड से जुडे आधुनिक बदलाव, अवसरों आदि के बारे में सही समझ आपको शिखर की सफलता दिला सकती है। परिवर्तन जिंदगी का अंग है। जिंदगी में सब कुछ बदलता है, हमारी पसंद और नापसंद भी। जो काम हमें दो साल पहले करना पसंद था, वह कार्य अब आपको उतनी खुशी नहीं देता। इसलिए इन बातों पर विचार करने के लिए पूरा समय लें। अपनी सबसे अधिक पसंदीदा व नापसंद चीजों की लिस्ट तैयार करें। अब इस लिस्ट का विवेचन अपने वर्तमान में करें। अगर कॅरियर आपकी पसंदीदा चीजों की लिस्ट में आता है, तो आप सही ट्रैक पर चल रहे हैं। अगर, आपकी जॉब एक्टिविटीज नापसंद चीजों की लिस्ट में आती हैं तो फिर से प्लानिंग अवश्य करें।
स्किल्स परखकर कॅरियर का चयन
स्किल्स परखकर कॅरियर का चयन करें। यह बात ध्यान रखें कि जिस फील्ड का चुनाव आपने किया है,उसमें विकल्प जरूरी है। आठवीं का स्टूडेंट अपने भविष्य के बारे में सोच सकता है। बस जरूरत है उसमें स्किल्स को पहचान कर प्रोत्साहन देने के साथ दिशा देने की। इस तरह पहचान सकते हैं स्किल्स..
क्रिएटिव सोच
क्रिटिकल थिंकिंग
इफेक्टिव कम्युनिकेशन
सेल्फ एवेयरनेस
डिसीजन मेकिंग एबिलिटी
प्रॉब्लम साल्विंग कैपिसिटी
यदि यह खूबियां स्टूडेंट में है तो वह किसी भी सीढी को आसानी से चढ सकता है(दैनिक जागरण,5.1.11)।
बहुत उपयोगी पोस्ट है बुकमार्क कर ली कुछ बच्चों को पढवाऊँगी मेल भेज कर या घर बुला कर ताकि इस रिमोट एरिया मे रहने वाले बच्चों को मार्गदर्शन मिल सके। धन्यवाद।
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