इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के सरकारी वकीलों को बड़ी राहत दी है। पीठ ने राज्य सरकार के शासनादेश पर रोक लगाते हुए कहा है कि जिला अदालतों में काम करने वाले सरकारी वकीलों को सरकार 60 वर्ष की आयु पर सेवानिवृत्त नहीं कर सकती, वह 62 वर्ष तक कार्य कर सकेंगे। सरकार ने शासनादेश जारी कर कहा था कि जो सरकारी वकील 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हों उनको तत्काल कार्य मुक्त किया जाए। पीठ ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद जो सरकारी वकील सेवा में नहीं थे उनको इस आदेश का लाभ नहीं मिलेगा। इस मामले में पीठ ने गत 6 जनवरी व 10 जनवरी को प्रमुख सचिव विधि व सहायक सचिव विधि को संपूर्ण रिकार्ड सहित तलब किया था और कहा था कि वह याचिका का प्रस्तर वार जवाब दाखिल करें। यह आदेश न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह व न्यायमूर्ति वीके दीक्षित की पीठ ने याची अशोक कुमार गुप्ता सहित अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के बाद दिए। याचिकाकर्ता के वकील सीवी पांडेय की दलील थी कि राज्य सरकार के विधि विरुद्ध शासनादेश को निरस्त किया जाए। यह भी कहा गया कि इस शासनादेश की आड़ में प्रदेश के सरकारी वकीलों को हटाया जा रहा है(दैनिक जागरण,लखनऊ,13.1.11)।
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