बीटीसी के प्रशिक्षुकों के लिए नौ माड्यूल का विकास राज्य शिक्षा संस्थान में चल रहा है। इस माड्यूल के माध्यम से अब प्रशिक्षुकों को पता होगा कि दो वर्ष के दौरान चार सेमेस्टरों में उन्हें 'कितना और क्या' पढ़ना है। इसका लाभ प्रशिक्षण दे रहे शिक्षक भी उठा सकेंगे। बीटीसी पाठ्यक्रम पर आधारित प्रदेश में कोई पठन-पाठन सामग्री अथवा राष्ट्रीयकृत पाठ्यपुस्तक का विकास नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में प्रशिक्षुकों और प्रशिक्षण दाताओं दोनों को समस्या का सामना करना पड़ता था। ऐसे में बीटीसी प्रशिक्षण के दो वर्ष के पाठ्यक्रम पर आधारित नौ माड्यूल का विकास किया जा रहा है।
पाठ्यक्रम के आधार पर आठ माड्यूल में वर्तमान भारतीय समाज और प्रारंभिक शिक्षा, बाल मनोविज्ञान, प्रारंभिक शिक्षा में नवीन प्रयास, विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा तथा निर्देशन एवं परामर्श, शैक्षिक मूल्यांकन क्रियात्मक-शोध एवं नवाचार, शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी और शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशासन विषय को सम्मिलित किया गया है। नौवां माड्यूल विशेष रूप से विकसित किया जा रहा है, जिसमें विज्ञान, सामाजिक अध्ययन, गणित, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत-उर्दू, कंप्यूटर, शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य, कला एवं संगीत, समाज उपयोगी उत्पादक कार्यो के बारे में भी शिक्षकों को बताया जाएगा। संस्थान की प्राचार्या डा. सुत्ता सिंह ने बताया कि कार्यशाला का पहला चरण 10 से 15 जनवरी तक आयोजित होना है। इसी प्रकार चार चरणों में माड्यूल का विकास होगा। माड्यूल विकसित होने के बाद एससीईआरटी उप्र को भेजा जाएगा। कोआर्डिनेटर प्रो. राज सिंह ने बताया कि माड्यूल में बीटीसी प्रशिक्षण संबंधी सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान समाहित होगा(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,15.1.11)।
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