नर्सरी दाखिले में बच्चे की उम्र को लेकर दुविधा बरकरार है। हाईकोर्ट के आदेश और शिक्षा निदेशालय के सर्कुलर जारी होने पर भी मनमानी चल रही है। इस पर शिक्षा मंत्री के अपने फरमान हैं। इन सब के बीच अभिभावक परेशान हैं।
हाईकोर्ट ने अपने पहले ही आदेश में नर्सरी के लिए बच्चे की उम्र को चार साल कहा था। वहीं दो दिन पहले शिक्षा निदेशालय ने एक सर्कुलर जारी कर कहा कि नर्सरी के लिए तीन साल का बच्चा और केजी के लिए चार साल का बच्चा योग्य है। दिल्ली के स्कूलों में दाखिले चार साल के मुताबिक ही चल रहे हैं। इस बार दाखिलों के लिए निर्देश जारी करते समय शिक्षा मंत्री ने भी चार साल उम्र की बात कही, लेकिन स्पष्ट नहीं कर पाए कि चार साल नर्सरी के लिए या केजी के लिए। इसे देखते हुए दिल्ली के कुछ एक स्कूलों ने नर्सरी के लिए चार वर्ष रखा। लेकिन शिक्षा निदेशालय के सर्कुलर जारी होने के बाद इन स्कूलों ने भी उम्र को घटाकर तीन वर्ष कर दिया।
दिल्ली पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के चेयरमैन आरसी जैन कहते हैं कि दाखिले अब भी उसी अनुरूप हो रहे हैं। लेकिन अगर इसी साल स्कूलों से नर्सरी हटाने की बात होगी तो बहुत दुविधा होगी। पहले तो तीन साल के बच्चों को दाखिला नहीं मिलेगा दूसरा पिछले १५ दिनों से चल रही दाखिला प्रक्रिया ठप हो जाएगी। वहीं अभिभावकों की दिक्कत है कि कहीं से भी कोई स्पष्ट बात नहीं आ रही है। नियम कुछ है और हो कुछ रहा है। नर्सरी दाखिलों की जानकारी देने वाले पोर्टल एडमिशंस नर्सरी डॉट कॉम के वेबमास्टर का कहना है कि दिल्ली में स्कूल अब भी हाईकोर्ट के मुताबिक ही चल रहे हैं। चुनाव अभिभावक के ऊपर ही है कि वह तीन साल में बच्चे को भेजना चाह रहे हैं या नहीं। क्योंकि केजी के लिए स्कूलों में सीटें कम होती है इसलिए अभिभावक नर्सरी के लिए ही दौड़भाग करते हैं। उधऱ, दिल्ली सरकार ने मंगलवार को नर्सरी दाखिले की उम्र पर हाईकोर्ट में स्थिति साफ कर दी है। सरकार ने कहा है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर चार साल से ऊपर के बच्चों को ही प्री-प्राइमरी में दाखिला दिया जा रहा है। तीन साल के बच्चों को प्री-स्कूल में दाखिला मिल रहा है। इन्हें औपचारिक नहीं प्ले स्कूल माना जाता है। इस प्रकार सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देशों की अवमानना नहीं की है।
सरकार की दलील से सहमत होकर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस सिस्तानी ने सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की याचिका खारिज कर दी। यह याचिका बीती २१ दिसंबर को एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने दाखिल की थी। उनकी दलील थी कि हाईकोर्ट के आदेश को ताक पर रखकर पब्लिक स्कूलों में चार साल से कम उम्र के बच्चों को दाखिला दिया जा रहा है। यह शिक्षा अधिनियम का उल्लंघन है। शिक्षा अधिनियम में स्पष्ट है कि पहली कक्षा में दाखिले के लिए बच्चे को ३१ मार्च तक पांच साल का होना आवश्यक है। हाईकोर्ट ने वर्ष २००७ में अशोक गांगुली कमेटी की सिफारिश पर प्री-प्राइमरी कक्षाओं में चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दाखिला देने पर रोक लगा दी थी। तब सरकार ने २००८-०९ के शैक्षणिक सत्र में इस आदेश के पालन का विश्वास दिलाया था। पर मौजूदा समय में तीन साल में दाखिला दिया जा रहा है।
दूसरी तरफ सरकार ने पक्ष रखा कि हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन हो रहा है। पहली कक्षा में बच्चा पांच साल की उम्र में ही पहुंच रहा है। चार साल में प्री-प्राइमरी में दाखिला हो रहा है। तीन साल के बच्चों को प्री-स्कूल में दाखिला मिल रहा है, जो शिक्षा के दायरे में नहीं आते(नई दुनिया,दिल्ली,12.1.11)।
अच्छी बात है। आभार।
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