राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष रवींद्र जुगरान ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर समूह-ग की भर्ती में राज्य की स्थानीय बोलियों के ज्ञान की अनिवार्यता के बारे में पुनर्विचार की मांग की है। पत्र में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य के गठन की मूल अवधारणा में रोजगार, विकास और अलग पहचान का सपना था। समूह-ग भर्ती परीक्षा में स्थानीय बोलियों के ज्ञान की अनिवार्यता खत्म करने के फैसले से जनता को ठेस पहुंची है। पंजाब, जम्मू-कश्मीर, आसाम, बंगाल समेत दक्षिण भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों में सिविल सेवा व राज्य लोक सेवा आयोग के दायरे में आने वाले सभी पदों पर संबंधित राज्य की भाषा की लिखित परीक्षा अनिवार्य है। सीमांतराज्य उत्तराखंड में समूह-ग की भर्तियों में यह अनिवार्यता लागू करने पर पुनर्विचार हो(दैनिक जागरण,देहरादून,6.1.11)।
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