यह कारनामा पंजाब का शिक्षा विभाग ही कर सकता है। विभाग ने सालों तक विज्ञान अध्यापिका के रूप में काम करने वाली सुरक्षा को कोई तरक्की नहीं दी। उसकी मृत्यु के दो साल बाद जारी हुई विभागीय पदोन्नति सूची में सुरक्षा को प्रवक्ता बना दिया। प्रोन्नति सूची में सात ऐसे और मामले हैं, जिनमें सेवानिवृत्त हो चुके अध्यापकों को प्रवक्ता बना दिया गया है। मामले का खुलासा होने के बाद अब विभाग बगलें झांकने के साथ ही खामी को छिपाने के लिए तरह-तरह की सफाई पेश कर रहा है। शिक्षा विभाग ने जनवरी के तीसरे सप्ताह में विभिन्न जिलों के 34 शिक्षकों को प्रोन्नति देकर प्रवक्ता बना दिया। यह पदोन्नतियां 2008 से लंबित थीं। विभाग की टेबलों पर प्रोन्नति की फाइलें दो साल तक इधर से उधर धूल फांकती रहीं और अब जाकर 18 जनवरी 2011 यह सूची जारी की गई। यह विभाग की लेटलतीफी की हद थी कि पदोन्नति की बाट जोहती-जोहती सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल विरक दुसांझ कलां की साइंस मास्टर सुरक्षा 2009 में भगवान को प्यारी हो गई। इसी तरह जौहल कलां मोहाली के शाम बिहारी, मनौल मोहाली के हरकृष्ण सिंह, हिसोवाल (लुधियाना) के गुरजीत सिंह, ढिलवां (फरीदकोट) की प्रकाश रानी सहित सात अन्य शिक्षक प्रोन्नति के इंतजार में 58 के होकर सेवानिवृत्त हो गए। इस बारे में पूछे जाने पर जालंधर के जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) जोगिंदर दास मकसूदपुरी ने बताया कि शिक्षक कैडर की प्रोन्नति वर्ष 2008 में होनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से विभाग उस समय अध्यापकों की प्रोन्नति सूची जारी नहीं हो पाई। उस समय जिन अध्यापकों के नाम सूची में शामिल किए गए थे, उन्हें अब जाकर प्रमोशन मिला है। उन्होंने कहा, हो सकता है इनमें कुछ लोग दिवंगत या सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पदोन्नति पाए सेवानिवृत्त शिक्षकों को प्रवक्ता के अनुरूप सेवानिवृत्ति लाभ दिए जाएंगे। इतना ही नहीं, विभाग के आला अधिकारी का कहना है कि पदोन्नति पाए सेवानिवृत्त शिक्षकों को प्रवक्ता के अनुरूप सेवानिवृत्ति लाभ दिए जाएंगे(कुसुम अग्निहोत्री,दैनिक जागरण,जालंधर,23.1.11)।
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