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15 जनवरी 2011

राजस्थानःफार्म बने फुटबॉल,छात्र भुगतते हैं खामियाजा

शिक्षा विभाग के दो कार्यालयों की लड़ाई आठवीं प्राइवेट परीक्षा के फार्म जमा करवाने को लेकर एक बार फिर सामने आ गई।

कलेक्टर के आदेश पर एक विभाग ने फार्म तो जमा कर लिए लेकिन आखिरी तारीख 31 दिसंबर निकलने के बाद ये ही फार्म उसके लिए खासा सिरदर्द साबित हुए। प्रारंभिक शिक्षा विभाग को जमा करवाए गए फार्म माध्यमिक शिक्षा विभाग को सुपुर्द करने थे। माध्यमिक शिक्षा विभाग इस बला को स्वीकारने को तैयार नहीं हुआ। डीबी स्टार को जागरूक पाठक से सूचना मिली। टीम ने पड़ताल की। टीम ने जिम्मेदारों से बात की तब लड़ाई सामने आती देख माध्यमिक शिक्षा विभाग ने आखिरकार शुक्रवार को ये फार्म मंगवा लिए। इस बीच दोनों विभागों की लड़ाई में आगे की प्रक्रिया कम से कम चौदह दिन लेट हो गई।

माध्यमिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण आठवीं प्राइवेट परीक्षा की सारी प्रक्रिया कम से कम चौदह दिन लेट हो चुकी है। यह अक्सर होता है कि सरकारी विभागों की लड़ाई में परेशानियां लोगों को ही होती हैं। जिले के माध्यमिक और प्रारंभिक शिक्षा विभाग कार्यालयों की लड़ाई का खमियाजा भी छात्रों को भुगतना पड़ सकता था। या तो उन्हें समय पर प्रवेश पत्र नहीं मिलते अथवा परीक्षाओं की तारीख ही आगे बढ़ानी पड़ जाती। हालांकि यह दीगर है कि कर्मचारियों से अतिरिक्त काम करवाकर इस समय को कवर कर लिया जाए।


डीबी स्टार टीम की पड़ताल के दौरान ही 14 जनवरी को माध्यमिक शिक्षा विभाग ने आठवीं की परीक्षा के सारे फार्म मंगवा लिए। इससे पहले प्रारंभिक शिक्षा विभाग से फार्म के बंडल रोज माध्यमिक को भेजे जाते। इन्हें लेकर अफसरों में भी खासी ठनी रही। माध्यमिक वाले कहते आपने फार्म ही जमा क्यों किए? प्रारंभिक वाले कहते कि कलेक्टर को आदेश था इसलिए जमा किए। उलटे हमने तो फार्म जमा करके आपका ही काम हल्का किया है। टीम की पड़ताल के चलते विभागों की यह लड़ाई जब सामने आने लगी तब आला अफसरों के दखल के बाद फार्म जमा किए गए। फार्म नहीं लिए जाने की स्थिति में बंडल न जाने कितने दिन और भटकते रहते।

पहले तो फार्म ही जमा नहीं हो रहे थे: स्कूली शिक्षा से जुड़ी दोनों विभागों की लड़ाई इससे पहले भी सामने आई थी। अगस्त में ही निर्णय कर लिया गया था कि इस सत्र से आठवीं परीक्षा बोर्ड नहीं रहेगी। प्राइवेट परीक्षार्थियों के फार्म जिला स्तर पर जमा किए जाएंगे। जिम्मेदारों को दिसंबर तक तो यही पता नहीं था कि फार्म जमा कौन करेगा? दोनों विभाग निर्देश नहीं होने का कहते हुए जिम्मेदारी से बचना चाह रहे थे। तब भी दोनों विभाग के जिम्मेदारों में फूट उजागर हुई थी। डीबी स्टार ने 27 दिसंबर को ‘फार्म जमा की जगह तय नहीं’ खबर में इस मामले का खुलासा किया। इसके बाद कलेक्टर के आदेश पर प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने 31 दिसंबर तक फार्म जमा किए थे।

फार्म तो स्कूलों में ही जमा करवा देते: फार्म माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में जमा करवाने थे। स्कूल में अवकाश के बावजूद मंत्रालयिक कर्मचारी वहां जाते थे। प्रारंभिक वालों ने फार्म क्यों जमा किए? उन्होंने फार्म लेट भिजवाए इस कारण ऐसा हुआ। जब नियम स्कूलों में लेने का था तो उन्हंे ऐसा नहीं करना चाहिए था। - प्रेमचंद सांखला, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी (मा.)


पता करवाएंगे फार्म जमा करने में क्या दिक्कत हुई: आठवीं प्राइवेट छात्रों के फार्म प्रारंभिक में जमा करने के निर्देश मैंने ही दिए थे। माध्यमिक को इन्हें लेने के लिए भी कहा था। इसके बावजूद उन्होंने फार्म जमा करने में आनाकानी क्यों की? यह आदेश की अवहेलना है। पता करवाकर जांच करवाई जाएगी। - हरजीराम अटल, अतिरिक्त जिला कलेक्टर (प्रथम)

चार बार माध्यमिक में फार्म भेजे थे - अरविंदकुमार व्यास, शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी (प्रांरभिक)

आठवीं स्वयंपाठी विद्यार्थियों के फार्म कहां जमा किए गए?-प्रारंभिक शिक्षा विभाग में जमा किए गए थे।

क्या माध्यमिक स्कूलों के भी आपने ही जमा किए?-हां, दोनों के ही फार्म हमने जमा किए थे।

किसके निर्देश पर ऐसा किया गया? -कलक्टर व माध्यमिक जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर ऐसा किया था।

आपके कार्यालय में ही फार्म इतने दिन क्यों पड़े रहे?-हमने फार्म लेने के बाद सूची बनाकर माध्यमिक शिक्षा विभाग कार्यालय को दूसरे ही दिन भिजवा दिए लेकिन उन्होंने फार्म लेने से इनकार कर दिया?

उन्होंने फार्म लेने से इनकार क्यों किया?-माध्यमिक वाले कह रहे हैं कि फार्म आप ने क्यों जमा किए।

अब क्या हुआ?-चार बार फार्म वहां भिजवाए। आखिरकार शुक्रवार को ये जमा किए गए हैं।

शिक्षा से जुड़े विभागों में ऐसा नहीं होना चाहिए
मुझे तो प्रांरभिक जिला शिक्षा अधिकारी ने कल ही बताया कि फार्म उनके कार्यालय में पड़े हैं। मैंने उसी समय शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी को फार्म लेने के निर्देश दे दिए। आज हमारे कार्यालय में फार्म जमा कर लिए गए हैं। दोनों विभाग तो शिक्षा से ही जुड़े हुए हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। - गजरा चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी (मा.)

(राजेन्द्र खोरवाल,दैनिक भास्कर,जोधपुर,15.1.11)

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