डीयू के श्री अरविंदो कॉलेज में पढ़ाने वाले एक असोसिएट प्रफेसर को यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी करार दिया गया है। यूनिवर्सिटी एपेक्स कमिटी ने इस मामले जांच के लिए पिछले साल अगस्त में सब कमिटी का गठन किया था और सब कमिटी की रिपोर्ट में कई खुलासे किए गए हैं और आरोपी टीचर को यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराते हुए कई तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। कॉलेज की तीन छात्राओं ने अपने टीचर के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे और इसके बाद कॉलेज कंप्लेंट कमिटी (सीसीसी) ने टीचर को दोषी ठहराया था लेकिन सीसीसी के फैसले के खिलाफ टीचर ने डीयू की एपेक्स कमिटी के पास अपील की थी।
हालांकि डीयू ने भी टीचर को राहत नहीं दी है लेकिन जहां सीसीसी ने टीचर को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी वहीं डीयू की सब कमिटी बर्खास्तगी से सहमत नहीं है और कमिटी का कहना है कि टीचर की बर्खास्तगी बहुत कड़ी कार्रवाई होगी, इसके बदले कई तरह के और एक्शन लिए जाने चाहिए।
कमिटी की रिपोर्ट काफी चौंकाने वाली है। कमिटी खुद मानती है कि कॉलेज के जूलॉजी डिपार्टमेंट के टीचर डॉ. वासदेव नारंग अक्सर गर्ल्स स्टूडेंट्स के सामने आपत्तिजनक कॉमेंट करते थे। यही नहीं डॉ. नारंग क्लासरूम में रेप सीन पर बातें करते थे और छात्राओं ने इसकी पुष्टि अपने बयानों में भी की है। कमिटी का मानना है कि छात्राओं के प्रति आरोपी का बर्ताव सही नहीं था और इससे छात्राओं को कॉलेज में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।
सब कमिटी ने साफ कहा है कि इस मामले में कॉलेज की कंप्लेंट कमिटी ने जो भी जांच पड़ताल की है, वह बिल्कुल ठीक है। हालांकि डीयू की कमिटी ने डॉ. नारंग की बर्खास्तगी की सिफारिश नहीं की है बल्कि कहा है कि बर्खास्तगी बहुत ज्यादा सजा होगी। इसके बदले कमिटी ने कुछ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश की है, जिसमें डॉ. नारंग की बची हुई सर्विस के दौरान इंक्रीमेंट पर रोक, भविष्य में उन्हें किसी भी तरह की प्रशासनिक ड्यूटी न देना और कॉलेज में किसी भी संवैधानिक पद को न देना शामिल है। कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डॉ. नारंग ने अपनी सफाई के लिए जो डॉक्यूमेंट पेश किए थे, उनका इस केस से कोई लेना- देना नहीं था।
कमिटी की इस रिपोर्ट को अब कॉलेज की गवर्निंग बॉडी में रखा जाएगा। कॉलेज की गवर्निंग बॉडी यह तय करेगी कि सब कमिटी रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि डीयू में यौन उत्पीड़न के कई मामले देखने में आ रहे हैं। हिंदी डिपार्टमेंट में भी एक प्रफेसर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया था। जानकारों का कहना है कि यूनिवसिर्टी को इस तरह के मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि छात्राओं के लिए भयमुक्त वातावरण बन सकें(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,15.1.11)
ऐसे मास्टरों के तो जूते भी लगाने चाहिये
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