आप क्या अपनी मंजिल खुद बनाना चाहते हैं? या फिर कुछ ऐसा काम करना चाहते हैं, जिसमें संतुष्टि मिले? अगर आपके इरादे कुछ इसी तरह के हैं, तो एन्टरप्रिन्योर यानी उद्यमी बनने के लिए कई रास्ते खुले हैं। एक उद्यमी अपने आइडियाज और संसाधन के बल पर अपना उद्यम (स्वरोजगार) स्थापित करता है। पिछले कुछ सालों में कम पूंजी में भी स्वरोजगार के विकल्पों का दायरा काफी बढ़ा है। अब यह केवल सिलाई, कढ़ाई या बुनाई तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसमें ट्यूशन, ट्वॉय मेकिंग, वीडियो गेम पार्लर, ब्यूटी पॉर्लर और ट्रेवल-टूरिज्म जैसे कई क्षेत्र शामिल हो गए हैं। यहां जानते हैं, इस तरह के विभिन्न स्वरोजगारों के बारे में-
ट्यूशन बिजनेस
ट्यूशन एजुकेशन इंडस्ट्री का हिस्सा है, जहां हेल्थकेयर की तरह एडवांस भुगतान होता है। यह आपको तय करना है कि ट्यूशन कैसे विद्यार्थियों को देनी है, 9वीं-10वीं के, 11वीं-12वीं के या जूनियर क्लास के छात्रों को। या फिर प्रोफेशनल, प्रवेश व प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग देनी है। इंजीनियरिंग/मेडिकल एंट्रेस परीक्षा की कोचिंग में पीसीएम व पीसीबी का टेस्ट होता है। बीबीए, बीसीए, होटल मैनेजमेंट, बीएड, एमबीए आदि की प्रवेश परीक्षाओं और सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में ज्यादातर मैथ्स, रीजनिंग और सामान्य ज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। फीस निर्धारित करते वक्त आसपास के ट्यूशन/कोचिंग सेंटर्स का भी ध्यान रखना होगा। अच्छी फैकल्टी के लिए आपको विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को अपने संस्थान में लाना होगा। इस बिजनेस में आपको स्थान, चेयर, बोर्ड आदि पर निवेश करना होगा। यानी करीब 20 से 30 हजार रुपये में इसकी शुरुआत की जा सकती है। पेंपलेट्स, पोस्टर, केबल टीवी, अखबार, ग्लो साइन बोर्ड, वॉल पेंटिंग आदि से आप अपने सेंटर का प्रचार कर सकते हैं।
वीडियो गेम पार्लर
कुछ वक्त पहले तक बच्चे एक रुपये का सिक्का मशीन में डालकर वीडियो गेम खेला करते थे। अब ये दुकानें वीडियो गेम पार्लर में बदल गई हैं। यहां बच्चे पांच या दस रुपये देकर एक सिक्का लेते हैं। इसी सिक्के से वीडियो गेम चलती है। एक अच्छा गेम पार्लर खोलने के लिए कम से कम 400 वर्ग फीट स्पेस होना चाहिए। चार से पांच लाख रुपये के निवेश से आप इस बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं। साइबर मोबाइक, लेथल एनफोर्सर्स, एलाइन कमांड, एयर हॉकी, हेप्पी-क्रेन आदि गेम मशीन काफी पॉपुलर हैं। मशीनें किस्तों पर ले सकते हैं। कमीशन या फ्रैंचाइजी पर भी मशीनें मिलती हैं।
ट्रैवल ऐंड टूरिज्म
इन दिनों ट्रैवल शॉप खोलकर एयरलाइन, रेलवे और बस की टिकट बुकिंग का काम बहुत तेजी से फैल रहा है। इन शॉप्स से विभिन्न कंपनियां अपने ट्रैवलिंग मामले डील करती हैं। जानी-मानी ट्रेवल कंपनियों की फ्रैंचाइजी भी ली जा सकती है। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय - द्वह्यद्वद्ग.द्दश1.द्बठ्ठ) इग्नू, आईआईटीटीएम (दिल्ली), डीयू, बी.आर. अंबेडकर यूनिवर्सिटी (आगरा) आदि संस्थानों से टे्रवल ऐंड टूरिज्म संबंधी कोर्स करके इस व्यवसाय की शुरुआत कर सकते हैं।
स्टेशनरी बिजनेस
आज अच्छी स्टेशनरी शॉप आसानी से नहीं मिलती। छात्रों के बीच स्टेशनरी की मांग हमेशा बनी रहती है। पैन, स्कूल स्टेशनरी, नोटपैड, कॉपी, चार्ट पेपर आदि के अलावा कॉलेज की किताबें, पत्रिकाएं, ग्रीटिंग कार्ड, हल्के स्नैक्स भी रख सकते हैं। करीब तीन से चार लाख रुपये में यह बिजनेस शुरू कर सकते हैं। बिजनेस चलने पर फोटोस्टेट, फैक्स, प्रिंट आउट जैसी सेवाएं भी दे सकते हैं।
ब्यूटी पॉर्लर
ग्लैमर का बोलबाला होने से मेकअप इंडस्ट्री का क्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है। अपने घर में ही आप हेयर स्टाइलिंग, ब्यूटी थेरेपी और हर्बल ब्यूटीकेयर जैसे कई बिजनेस शुरू कर सकते हैं। देश के कई संस्थानों में इससे संबंधित ट्रेनिंग दी जाती है। नेशनल वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फॉर वूमन (एनवीटीआई, नोएडा), रीजनल वोकेशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फॉर वूमेन (देश में कई केंद्र) और इग्नू जैसे कई सरकारी संस्थानों में 12वीं पास के लिए ब्यूटी कल्चर, हेयर ऐंड स्किन केयर आदि में कोर्सेज कराए जाते हैं।
कैंडल मेकिंग
मध्यम और निम्न वर्गीय समाज में अभी भी बड़े पैमाने पर मोमबत्तियों का प्रयोग होता है। शहरी क्षेत्रों में भी फ्लोटिंग, सुगंधित, रंग-बिरंगी और डिजाइनदार मोमबत्तियों की जबरदस्त मांग रहती है। कुछ फैंसी मोमबत्तियां तो डेकोरेटिव पीस के तौर पर सजाई जाने लगी हैं। पैराफीन मोम, रंग, इत्र, सांचे, सूत आदि का इस्तेमाल कर इस काम की शुरुआत आप घर के सदस्यों के साथ ही कर सकते हैं। 20 से 30 हजार में यह बिजनेस शुरू किया जा सकता है। अगरबत्ती और कैंडल मेकिंग कोर्स नोएडा में स्थित एंटरप्रिन्योरशिप ऐंड स्मॉल बिजनेस डेवलपमेंट (एनआईईएसबीयूडी) में कराया जाता है। एशियन सोसाइटी फॉर एंटरप्रिन्योरशिप एजुकेशन ऐंड डेवलपमेंट में भी इसकी टे्रनिंग दी जाती है।
सॉफ्ट ट्वॉय मेकिंग
बच्चों के लिए सुरक्षित होने की वजह से सॉफ्ट ट्वॉय की हमेशा बढ़िया डिमांड रहती है। घरों को सजाने के लिए भी इनका इस्तेमाल होता है। इसमें रंग-बिरंगे फैंसी कपड़े, सिंथेटिक कॉटन, सुई-धागे और सजावट की अन्य वस्तुओं की जरूरत होती है। इसे भी अपने घर परिवार या मित्रों के साथ मिलकर शुरू कर सकते हैं। एशियन सोसाइटी फॉर एंटरप्रिन्योरशिप एजुकेशन ऐंड डेवलपमेंट, एनवीटीआई आदि से इसका प्रशिक्षण लिया जा सकता है।
चश्मों का काम
अगर आपको दृष्टि संबंधी ज्ञान है, तो कुछ पैसों और उद्यमी सोच के साथ चश्मों का काम शुरू करने का विकल्प भी है। इसे अपना बिजनेस बनाने के लिए कंप्यूटराइज्ड ई-टेस्टिंग की सुविधा और सामान्य फ्रेम के अलावा कॉन्टेक्ट लेंसेज व सनग्लासेज भी उपलब्ध होने चाहिए। फ्रेम की कटिंग और लेंस की फ्रेमिंग के लिए ग्राइंडिंग मशीन की जरूरत होगी। एमएसएमई में इस क्षेत्र से संबंधित छह महीने के लेंस मेकिंग व फिटिंग ट्रेनिंग, ऑप्टोमेटरिस्ट, मैकेनिक लेंस/प्रिज्म ग्राइंडिंग जैसे कोर्सेज चलाए जाते हैं।
रिसाइक्लिंग बिजनेस
दिनोंदिन एडवांस होती टेक्नोलॉजी और विकास की तेज रफ्तार ने देश में ई-वेस्ट मैनेजमेंट की जरूरत काफी बढ़ा दी है। इसी कारण वर्तमान में रिसाइक्लिंग बिजनेस तेजी से उभर रहा है। एमएसएमई में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कोर्स से इस क्षेत्र की अच्छी जानकारी मिलेगी।
अन्य बिजनेस
कई दूसरे बिजनेस भी हैं, जिनमें अच्छा स्कोप है, जैसे पापड़ का बिजनेस। लिज्जत पापड़ की शुरुआत कुछ महिलाओं द्वारा नाममात्र की पूंजी से की गई थी। महिलाओं के लिए तो यह स्वरोजगार बहुत बढ़िया है। बाद में बाजार की मांग के मुताबिक कारोबार बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा यदि कंप्यूटर का ज्ञान है, तो साइबर कैफे खोल सकते हैं। मोबाइल रिपेयरिंग का काम भी खूब चल रहा है। कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयरिंग ट्रेंनिंग के लिए एमएसएमई काफी अच्छा संस्थान है। मेट्रो सिटीज में टिफिन सिस्टम का बिजनेस भी तेजी से फैल रहा है। बेकरी का काम करना चाहते हैं, तो विभिन्न संस्थानों, जैसे डीजीईटी में बेकर ऐंड कन्फेक्शनर जैसे कोर्स उपलब्ध हैं।
सफलता के मूल मंत्र
-दृढ़ निश्चय होना चाहिए कि आपको उद्यमी ही बनना है।
-अपनी योग्यता और स्किल्स के मुताबिक स्वरोजगार चुनें।
-पहले संबंधित काम की ट्रेनिंग लें, तो अच्छा है। इंटरप्रिन्योरशिप ऐंड बिजनेस मैनेजमेंट ट्रेनिंग स्किल्स कई संस्थानों में सिखाई जाती है।
-अपने बिजनेस के संदर्भ में मार्केट की स्थिति का जायजा लें और उसी के अनुसार अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी व क्वांटिटी तय करें।
-मार्केट में प्रोडक्ट की मांग-पूर्ति, जरूरत के अनुसार क्वालिटी में बदलाव, प्रतियोगिता, कीमत, वितरण नीति आदि के बारे में अप-टू-डेट रहें।
-जहां बिजनेस शुरू कर रहे हैं, वहां आवश्यक हुनर, संसाधन, बाजार आदि उपलब्ध हैं या नहीं, इसका भी ध्यान रखें।
-अपने प्रोडक्ट से संबंधित टेक्नोलॉजी की जानकारी भी बिल्कुल दुरुस्त होनी चाहिए।
-वित्तीय संस्थान व बैंकिंग की जानकारी जरूर रखें। साथ ही लोन लेने की प्रक्रिया का ज्ञान भी होना चाहिए।
-मार्केट के कायदे-कानूनों के बारे में भी पता होना चाहिए।
-लगन, धैर्य के अलावा लक्ष्य के प्रति अडिग रहना बेहद जरूरी है(जितिन चावला,अमर उजाला,25.1.11)।
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