मनमोहन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि मानक स्तरों पर खरे नहीं पाए जाने के कारण डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में प्राप्त मान्यता समाप्त होने की आशंका के दायरे में घिरे देश के ४४ शिक्षण संस्थानों की खामियों के बारे में नए सिरे से विचार किया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय इन शिक्षण संस्थाओं को नए सिरे से कारण बताओ नोटिस जारी करके उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर देगा। इस दौरान इन शिक्षण संस्थाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के बारे में २५ जनवरी के आदेश के अनुरूप यथास्थिति बनाए रखी जाएगी। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और दीपक वर्मा की दो सदस्यीय खंडपीठ को अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने मंगलवार को यह आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार नए सिरे से इन शिक्षण संस्थाओं की बुनियादी सुविधाओं का निरीक्षण भी करेगी। यह खंडपीठ देश में उच्च शिक्षा के तेजी से बढ़ रहे व्यावसायीकरण और डीम्ड विश्वविद्यालयों की बढ़ती संख्या के खिलाफ वकील विप्लव शर्मा की जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों पर विचार कर रही है। जजों ने अटार्नी जनरल के इस आश्वासन को रिकार्ड करने के साथ ही सरकार को निर्देश दिया कि वह प्रत्येक शिक्षण संस्थान को दो हफ्ते के भीतर नए सिरे से नोटिस जारी करे।
इन शिक्षण संस्थाओं को इसके दो बाद दो हफ्ते के भीतर अपना जवाब दाखिल करना होगा। अदालत ने सरकार से कहा है कि वह प्रत्येक शिक्षण संस्थान से मिले जवाब के संदर्भ में २३ अप्रैल तक अलग-अलग आदेश पारित करने के बाद अपनी रिपोर्ट पेश करे। अदालत इस मामले में अब तीन मई को आगे विचार करेगी। अदालत ने मान्यता रद्द होने की आशंका से घिरे देश के ४४ मानद विश्वविद्यालयों और इनमें शिक्षा प्राप्त कर रहे करीब दो लाख छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को सारे मामले पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इस मामले में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने गत वर्ष १८ जनवरी को अदालत को सूचित किया था कि देश के १२६ में से ४४ शिक्षण संस्थाओं का डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा वापस लिया जाएगा, क्योंकि ये निर्धारित मानक स्तरों पर खरे नहीं पाए गए हैं। सरकार ने १२६ डीम्ड विश्वविद्यालयों के कामकाज और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भूमिका की जांच कराई थी। इसमें से केवल ३८ शिक्षण संस्थान ही डीम्ड विश्वविद्यालय के लिए निर्धारित मानकों पर खरे पाए गए थे जबकि ४४ शिक्षण संस्थानों में सुधार की गुंजाइश पाई गई(नई दुनिया,दिल्ली,12.1.11)।
दैनिक जागरण की रिपोर्टः
डीम्ड का दर्जा समाप्त होने का खतरा झेल रहे 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों के मामलों में केंद्र सरकार नए सिरे से विचार करेगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का मामले में यथास्थिति कायम रखने का आदेश लागू रहेगा। केंद्र सरकार सभी विश्वविद्यालयों को उनकी खामियों के लिए अलग-अलग नोटिस जारी करेगी और उनका पक्ष सुनने के बाद कारण सहित आदेश पारित करेगी। जांच पड़ताल की ये सारी कार्यवाही 25 अप्रैल तक पूरी कर ली जाएगी और 25 अप्रैल को केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर देगी। ये निर्देश न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी व न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने मंगलवार को एटार्नी जनरल जीई वाहनवती को सुनने के बाद जारी किए। वाहनवती ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार के 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों के मामले में नए सिरे से विचार करने का फैसला किया है। एटार्नी जनरल के सुझाव बिंदुओं को देखने के बाद पीठ ने आदेश पारित कर कहा कि केंद्र सरकार 2 सप्ताह के भीतर इन सभी विश्वविद्यालयों को खामियों के बावत नोटिस जारी करेगी और डीम्ड विश्वविद्यालय नोटिस जारी होने के 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाब दे देंगे जिसमें वे खामियों पर जवाब के साथ अपना ज्ञापन भी सरकार को दे सकते हैं। इस मामले में 3 मई को फिर सुनवाई होगी। इससे पहले डीम्ड विश्वविद्यालयों के वकीलों ने टंडन समिति की रिपोर्ट के आधार पर जवाब मांगे जाने पर सवाल उठाया। उनका कहना था कि केंद्र सरकार यूजीसी की रिपोर्ट के आधार उनसे जवाब मांगे। दूसरी और डीम्ड विश्वविद्यालयों में अव्यवस्था का मुद्दा उठाने वाले याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया जाए कि ये अपने यहां लिये गए एडमिशन का ब्योरा केंद्र सरकार को दें जो कि ये नहीं कर रहे हैं। हालांकि कोर्ट ने मंगलवार को इस संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट भी देखिएः
Forty-four universities damned by the Tandon Committee and recommended for stripping of deemed status will now get an opportunity to stay afloat by declaring steps taken by them to put infrastructure in place as needed under rules to deserve the prestigious tag.
Attorney general G E Vahanvati told a Bench comprising Justices Dalveer Bhandari and Deepak Verma about the decision after consulting HRD minister Kapil Sibal on a two-hour notice from the court.
After the SC turned the heat on deemed universities found woefully lacking in infrastructure,the government had appointed an expert body headed by P N Tandon which evaluated them and put 44 in the category to be stripped of their deemed status while giving 44 others three years to match the infrastructure required for keeping intact their status as deemed universities.
However,the Bench on Tuesday insisted on giving the 44 universities another chance to explain the steps they had taken to improve facilities for higher education.Only 38 deemed universities had passed muster during scrutiny by the Tandon committee.
Hearing a PIL filed by advocate Viplav Sharma,the Bench felt there was scope of elevating some universities from the worst category to a rather better category to save them the ignominy of derecognition.Perhaps on a re-evaluation,some of the universities can be elevated to Category Two (with minor deficiencies), the Bench said.
Some universities have enjoyed deemed status for more than 20-25 years.Just because they have added two courses,they are being de-recognised.Either you give them time to upgrade their infrastructure or permit them to continue by cancelling these courses,but in the garb of these two-three courses,denuding them of their deemed status will not be fair.
The AG,after consulting the HRD minister,informed the court that the Benchs proposal for giving one more chance to the worst category universities was acceptable to the government.
The court gave the Centre two weeks to issue notices to the 44 worst category universities and another two weeks for them to respond to it.
However,the Bench clarified,These institutions will be entitled not only to give reply but make a representation on status of deficiencies.Thereafter,each university will be separately heard.Any university still in the worst category will be heard before any action is initiated by the Centre. The case will be heard on May 3.
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