प्रदेश के 1,24,000 स्नातक शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देकर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत उन्हें नियमित शिक्षक बनाने का रास्ता साफ होता दिख रहा है। स्नातक शिक्षामित्रों को ब्लॉक संसाधन केंद्रों (बीआरसी) के माध्यम से ट्रेनिंग दिलाने के बारे में सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने सशर्त मंजूरी दे दी है। एनसीटीई के सदस्य सचिव विक्रम सहाय ने इस संबंध में सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत को पत्र भेज दिया है। पत्र में एनसीटीई ने सरकार से यह भी कहा है कि वह भविष्य में किसी भी रूप में अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति न करे। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से आठ तक में बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ प्रशिक्षित शिक्षक ही रखे जाने हैं। प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 1.78 लाख शिक्षामित्र तैनात हैं जिनमें से 1.24 लाख स्नातक हैं। परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने और स्नातक शिक्षामित्रों को ट्रेनिंग दिलाकर उन्हें नियमित शिक्षक बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने तीन जनवरी को एनसीटीई को नया प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव में स्नातक शिक्षामित्रों को प्रदेश के सभी 70 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) और 820 बीआरसी के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा के जरिये डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन की दो वर्षीय ट्रेनिंग दिलाने की पेशकश की गई थी। शिक्षामित्रों को यह ट्रेनिंग 50-50 के बैच में कराने की मंशा जतायी गई थी(राजीव दीक्षित,लखनऊ,15.1.11)।
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