कोबाल्ट प्रकरण के बाद डीयू में रेडियोएक्टिव रसायनों के रिसर्च पर सख्त हुए एईआरबी ने आठ माह पुराने प्रतिबंध को आंशिक तौर पर हटा दिया है।
एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (एईआरबी) ने खासतौर पर ताकीद किया है कि विवि के फिजिक्स विभाग में ही वीक रेडियोएक्टिव सोर्स का इस्तेमाल हो सकता है।
कुलपति प्रो. दिनेश सिंह ने एईआरबी की ओर से मिली हरी झंडी को बड़ी राहत करार दिया है और भरोसा दिलाया है कि पूर्व की गलती से सबक ले रहे डीयू में जल्द ही रिसर्च स्तर पर भी रेडियोएक्टिव सोर्स के इस्तेमाल की भी मंजूरी मिल जाएगी।
फिजिक्स व एस्ट्रोफिजिक्स विभाग के प्रमुख प्रो. आरपी टंडन ने बताया कि राहत के बाद उनके यहां रेडियोएक्टिव रसायनों के माध्यम से होने वाली रिसर्च में यूजीसी की ओर से जारी तमाम दिशा-निर्देशों के तहत काम किया जाएगा।
विवि की ओर से रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर की भी नियुक्ति की जा चुकी है, जिसकी निगरानी में सभी प्रकार के रेडियोएक्टिव सोर्स से जुड़े प्रयोग अंजाम दिए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि एमएससी फिजिक्स में न्यूक्लियर फिजिक्स के 300 छात्रों के भविष्य को देखते हुए विवि प्रशासन ने एईआरबी से प्रतिबंध हटाने की मांग की थी। डॉ. टंडन ने बताया कि फिलहाल इस राहत के तहत डीयू के एमएससी फिजिक्स में न्यूक्लियर फिजिक्स के प्रथम व द्वितीयवर्ष के छात्रों को ही लाभ मिल रहा है।
सूत्रों के अनुसार अब विवि की ओर से पूरी तरह से इस प्रतिबंध से राहत पाने की कोशिशें शुरू हो गई है। इस समूचे प्रयास में जुटे अधिकारियों की मानें तो तमाम कायदे कानूनों के पालन को लेकर लगातार विवि की प्रयोगशालाओं में सुधार की प्रक्रिया जारी है।
उन्हें पूरा भरोसा है कि नए सत्र 2011-12 की शुरुआत के साथ विवि पूरी तरह से रेडियोएक्टिव रिसर्च पर लगे प्रतिबंध से मुक्त हो जाएगा(दैनिक भास्कर,दिल्ली,26.1.11)।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।