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07 जनवरी 2011

राजस्थानःसुप्रीम कोर्ट के बावजूद हुई मेडिकल काउंसिलिंग

मेडिकल संस्थानों में प्रवेश प्रकिया के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भले की नियम बना दिए हों, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अपने ही नियम हैं। विभाग 31 सितंबर तक सभी मेडिकल संस्थानों में प्रवेश प्रकिया पूरी करने के निर्देशों का खुलेआम मखौल उड़ा रहा है। तभी तो गत बुधवार को विभाग के अघिकारियों ने 150 जीएनएम कॉलेजों की प्रवेश प्रकिया के लिए काउंसलिंग कर डाली। जबकि 31 सितंबर के बाद किसी भी प्रकार की प्रवेश प्रकिया पर रोक लग गई है। खास बात यह है कि काउंसलिंग के समय चिकित्सा मंत्री का स्टाफ भी वहां मौजूद था। क्यों? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।

जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने नए दिशा-निर्देश जारी कर देश के सभी मेडिकल संस्थानों में प्रवेश प्रकिया प्रतिवष्ाü 31 सितंबर तक पूरी करने के निर्देश दिये। मजे की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने इस निर्देश की भी काट खोज ली। जीएनएम कॉलेजों की सरकारी कोटे की सीटों पर लंबे समय तक काउसलिंग नहीं की जाती है। ताकि सीट खाली रह जाने का कॉलेज संचालकों पर दबाव बनाया जा सके। बुधवार को मेडिकल काउंसिल ऑफ राजस्थान के कार्यालय में जीएनएम कॉलेजों में सीट आवंटन के लिए चोरी छिपे काउंसलिंग की गई। खास बात है कि इस दौरान चिकित्सा मंत्री एए खान उर्फ दुर्रू मियां के स्टॉफ के अघिकारी भी वहां मौजूद थे। जबकि नियम यह है कि सिर्फ काउंसलिंग के लिए गठित बोर्ड (अतिरिक्त निदेशक, अराजपत्रित के अलावा रजिस्ट्रार व एक अन्य अधिकारी)केअधिकारी ही काउंसलिंग में मौजूद रहेंगे।


बिना बोर्ड बने कैसे हुई काउंसलिंग : जानकारी के मुताबिक,मेडिकल संस्थानों में किसी भी प्रवेश प्रकिया के लिए एक बोर्ड के गठन का प्रावधान है। जीएनएम की देरी से हुई इस काउंसलिंग के लिए पहले एक बोर्ड का गठन किया गया था। लेकिन बाद में बिना किसी के निर्देश के इसे भंग कर दिया गया और गुपचुप में काउंसलिंग की गई।

अब नुकसान किसका 
जानकारों का कहना है कि निर्घारित तिथि के बाद प्रवेश प्रकिया करनी ही नहीं चाहिए थी। अब चार महीने बाद काउंसलिंग की है तो प्रवेश लेने वाले छात्र आधी अधूरी पढ़ाई करेंगे। उनके इस वर्ष के प्रैक्टिकल अगले वर्ष होंगे और उनके परीक्षा परिणाम कब निकलेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है।
(पुनीत शर्मा,राजस्थान पत्रिका,जयपुर,7.1.11)

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