प्रदेश सरकार ने स्कूली शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की तैयारी कर ली है। इस बदलाव को मुख्यमंत्री की तरफ से मंजूरी के संकेत भी मिल चुके हैं। उम्मीद है कि नए शैक्षिक सत्र से यह बदलाव लागू कर दिया जाएगा।
इसके तहत संभव है कि नए सत्र से ही प्राथमिक शिक्षा विभाग के निदेशक का पद नाम निदेशक माध्यमिक शिक्षा विभाग हो जाए। साथ ही प्रदेश के सभी 119 विकास खंडों में खंड शिक्षा अधिकारी की तरह खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी के पद भी सृजित हो जाएं। दरअसल प्रदेश सरकार स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर चिंतित थी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों से इस सिलसिले में बात की गई तो उन्होंने ब्लूप्रिंट बनाकर मुख्यमंत्री के सामने पेश किया।
छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा मौलिक शिक्षा विभाग में होंगी शिफ्ट
प्रदेश में स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार ने प्रदेश स्कूलशिक्षा निदेशालय में बड़े बदलाव की तैयारी कर ली है। शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए बदलाव के ब्लू प्रिंट को मुख्यमंत्री की हरी झंडी भी मिल गई है। इसके बाद अब शिक्षा विभाग के सभी अधिकारी बदलाव को फाइनल टच देने में लगे हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा बदलाव के लिए तैयार किए गए ब्लू प्रिंट के अनुसार मुख्य बदलावों में छठी, सातवीं व आठवीं कक्षा को सेकंडरी एजुकेशन विभाग से निकालकर मौलिक शिक्षा विभाग में शामिल करने का प्रस्ताव है। सिर्फ यही नहीं तीनों कक्षाओं से संबंधित सभी फैसले भी मौलिक शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा ही लिए जाएंगे। मौलिक शिक्षा विभाग का नाम बदलकर माध्यमिक शिक्षा विभाग करने का प्रस्ताव भी है।
मास्टर भी पढ़ाएंगे पांचवीं कक्षा
अभी तक मास्टर छठी से 10वीं कक्षा तक ही पढ़ाते थे, लेकिन नए प्रस्ताव के अनुसार वो चौथी-पांचवीं कक्षा को भी पढ़ाएंगे। सभी को ऑप्शन दिया जाएगा की या तो वे मौलिक शिक्षा विभाग को चुन लें या सेकंडरी एजुकेशन विभाग को। ऑप्शन की जगह वरिष्ठता स्तर को भी इसका आधार बनाया जा सकता है।
मात्र 23 करोड़ का खर्च
स्कूल शिक्षा निदेशालय की वित्तायुक्त सुरीना राजन द्वारा मुख्यमंत्री के सामने रखे गए इस ब्लू प्रिंट के हिसाब से किए गए बदलाव में मात्र 23 करोड़ रुपए का खर्च बताया गया है। इसमें सभी नई पोस्ट के अधिकारियों की सैलरी भी शामिल है। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के इस ब्लू प्रिंट को पास कर इस बदलाव के स्टेप टू स्टेप डिटेल बनाने और 23 करोड़ के रुपए के अतिरिक्त खर्च का ब्यौरा देने को कहा है। शिक्षा विभाग अपने ब्लू प्रिंट को फाइनल टच देने में जुट गया है।
‘‘राजकीय स्कूलों में शिक्षा के स्तर के गिरने का मुख्य कारण स्कूलों पर सही तरह से शिक्षा अधिकारियों का ध्यान न होना है। अगर शिक्षा प्रणाली में कोई बदलाव किया जा रहा है तो उसमें शिक्षाविदें की राय लेना बहुत आवश्यक है। इन बदलावों को सही तरह से लागू किया गया तो स्कूलों के निरीक्षण में काफी सहायता मिलेगी। इससे निश्चित ही शिक्षा के स्तर में सुधार होगा-’’एसएस कौशल, पूर्व निदेशक, राज्य मौलिक शिक्षा
विभागखंड स्तर पर भी होंगे मौलिक शिक्षा अधिकारी
अभी तक सभी खंड में सिर्फ खंड शिक्षा अधिकारी का पद ही सृजित है, लेकिन नए प्रस्ताव के अनुसार हर खंड में खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी का नया पद सृजित किया जाएगा। इससे स्कूलों की गतिविधियों पर नजर रखने में काफी सहायता मिलेगी और खंड शिक्षा अधिकारी का वर्कलोड भी काफी कम हो जाएगा।
डीएड भी मौलिक शिक्षा विभाग को : डिप्लोमा इन एजुकेशन को चलाने का जिम्मा पहले ही मौलिक शिक्षा विभाग के पास है, लेकिन डाइट संस्थानों में जितने भी टीचर पढ़ा रहे हैं वे सब सेकंडरी एजुकेशन विभाग के हैं। इन सभी टीचरों को भी मौलिक शिक्षा विभाग के अंडर लाने का प्रस्ताव है।
एजुकेशन सिस्टम में जो बदलाव किए जाएंगे उनसे स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी। उम्मीद है कि एक महीने में यह नया प्रस्ताव पास हो जाएगा और नए शैक्षणिक सत्र से इसे लागू किया जा सकेगा-’’सुरीना राजन, वित्तायुक्त, प्रदेश स्कूल शिक्षा निदेशालय(भास्कर डॉटकॉम,गुड़गांव,12.1.11)
अभी मसौदा आने पर ज्यादा पता चलेगा
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