सुप्रीमकोर्ट ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने देश भर के स्कूलों में बिजली, पीने का पानी, शौचालय, इमारत और शिक्षकों की स्थिति पर राष्ट्रीय शिक्षा योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय (न्यूपा) की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट पर राज्य सरकारों से आठ फरवरी तक जवाब मांगा है। राज्यों को ये निर्देश न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी व न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की पीठ ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का मुद्दा उठाने वाले गैर सरकारी संगठन एनवायरमेंटल एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन फाउंडेशन की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किये। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। पीठ ने स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति पर चिंता जताई। इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील रवींद्र बाना ने कहा, शिक्षा अधिकार कानून लागू हो चुका है और इसके उद्देश्यों को पूरा करना सरकार का दायित्व है, जबकि न्यूपा की रिपोर्ट में स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की जो स्थिति बताई गई है वह चिंताजनक है। रिपोर्ट के मुताबिक असम में 63.30 फीसदी, बिहार में 65.34, जम्मू कश्मीर में 78.66, झारखंड में 71.70 तथा उत्तराखंड में 87.23 फीसदी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा है। कुछ और राज्यों की भी यही स्थिति है, यानी कि हर स्कूल में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। यही हाल राज्यों के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कामन टायलेट और गर्ल्स टायलेट का है। उदाहरण के लिए बिहार के स्कूलों में 57.19 फीसदी कामन टायलेट हैं, लेकिन गर्ल्स टायलेट सिर्फ 26.6 फीसदी ही हैं। राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भी सिर्फ 52.82 फीसदी कामन टायलेट हैं। कंप्यूटर की स्थिति और भी दयनीय है। उत्तर प्रदेश में 3.59, पश्चिम बंगाल में 5.90, हिमाचल प्रदेश में 12.94, हरियाणा में 27.46, झारखंड में 5.83, बिहार में महज .068 फीसदी स्कूलों में कंप्यूटर हैं। बिजली की सुविधा का हाल भी ऐसा ही है बिहार में तो सिर्फ 3.45 फीसदी स्कूलों में बिजली कनेक्शन है। रिपोर्ट के इन आंकड़ों को देखने के बाद पीठ ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि शिक्षा के मौलिक अधिकार बनने के बाद भी स्कूलों में पीने के पानी और अन्य मूलभूत सुविधायें नहीं हैं। पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार से न्यूपा रिपोर्ट की प्रति सभी राज्यों को देने का निर्देश दिया(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,12.1.11)।
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