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12 जनवरी 2011

मिलिए,जेआरएफ में चयनित नेत्रहीन इमराना से

यूजीसी के जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) में चयनित दृष्टिहीन छात्रा इमराना को अब दुनिया को न देख पाने का कोई खास दुख नहीं होता। अब तक मिली कामयाबी ने सब कमियां पूरी कर दी हैं। खलिश तो इस बात की रहती है कि हाईस्कूल के बाद ब्रेल लिपि में पुस्तकें आसानी से नहीं मिलतीं। इसलिए इमराना ने खुद ही ब्रेल लिपि में अपने लिए नोट्स तैयार किए। अपनी किताबों की तरह अपनी तकदीर भी इमराना ने खुद ही लिखी। इमराना की ख्वाहिश है वह टीचर बनकर इल्म की रोशनी फैलाए। चित्रकूट जिले के मऊ गांव में रहने वाले किसान शफीक अहमद की तीसरी बेटी इमराना जन्म से ही दृष्टिहीन है। तीन भाइयों में से तीसरे फहीम अहमद अजमेर में सरकारी स्कूल में टीचर हैं। बाकी के शमीम अहमद हाफिज हैं और वसीम अहमद की अपनी शॉप है। चार में से दो बहनों की शादी हो चुकी है। छोटी बहन शमा परवीन उन्हीं के साथ एएमयू में ही बीए कर रही है। इमराना कहती हैं, ‘उन्हें कुदरत के दिए अंधेरे मंजूर न थे। इसीलिए इल्म की रोशनी से जिंदगी के अंधेरे दूर करने की उन्होंने ठान ली। इसमें भाई और मां मोमिना सिद्दीकी ने बहुत मदद की।’


इमराना बताती हैं कि इस मुकाम तक आने में उनके प्राइमरी स्कूल के टीचर अबुल कलाम कासमी साहब और मो. हाशिम जी का बहुत बड़ा योगदान है। यहां एएमयू में सैयद अब्दुल वासे और नियाज अहमद ने भी बहुत मदद की। इन सभी ने जिंदगी में सकारात्मक तरीके से सोचने में बड़ी मदद की। आईजी हॉल में रहने वाली इमराना का दूसरा शौक गायकी है। फ्रेंड्स की हौसला अफजाई ने उनकी गायिकी को और परवान चढ़ाया। 7 जून, 2009 को एएमयू के दीक्षांत समारोह में आए प्रख्यात संगीतकार एआर रहमान के साथ अपनी मुलाकात को भूल नहीं सकती। पार्श्व गायक मो. अजीज की बात भी इमराना को अच्छी तरह याद है। वह कहती हैं, ‘अजीज साहब ने कहा था कि मेहनत कीजिए। इंशा अल्लाह, कामयाबी जरूर मिलेगी।’ ग्रेजुएशन टाइम से ही एएमयू तराना टीम की सदस्य इमराना कहती हैं कि फिल्मों में प्लेबैक सिंगर के रूप में भी वह तकदीर आजमाना चाहेंगी।


इमराना की कामयाबी का सफर
-18 जुलाई, 1992 को अलीगढ़ में एएमयू के अहमदी स्कूल ऑफ ब्लाइंड में एडमिशन।
-पहले एक वर्ष सिर्फ ब्रेल लिपि सीखी और बहुत जल्द ही महारत हासिल की।
-पहली क्लास प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की और तीसरी के बाद सीधे 5वीं कक्षा में प्रवेश लिया।
-6ठी कक्षा के लिए अब्दुल्ला कॉलेज में एंट्रेंस दिया और सफल रही।
-2003 में तबीयत खराब होने के बाद भी 10वीं की परीक्षा दी, द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण।
-2005 में फर्स्ट डिवीजन के साथ 12वीं की परीक्षा पास की। अब्दुल्ला गर्ल्स कॉलेज में प्रवेश।
-2008 में फर्स्ट डिवीजन के साथ ग्रेजुएट की परीक्षा भी पास की।
-2008 में एएमयू में हुए सिंगिंग कंपीटीशन सुर-2008 की चैंपियन बनी।
-2010 में उर्दू विषय के साथ एमए पूरा किया। साथ ही यूजीसी की जेआरएफ में भी चयन हुआ(दीपक शर्मा,अमर उजाला,11.1.11)।

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