जम्मू संभाग की मातृभाषा डोगरी को संविधान के आठवें शेडयूल में शामिल हुए 8 वर्ष हो चुके हैं लेकिन अभी तक संभाग के केवल 6 जिलों में ही डोगरी पढ़ाई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि जरनल लाइन टीचर बच्चों को डोगरी पढ़ा रहे हैं।
डोगरी भाषा को 22 दिसंबर 2003 को संविधान के आठवें शेडयूल में शामिल किया गया था और उसी वर्ष से प्राइमरी एवं अप्पर प्राइमरी सरकारी स्कूलों में इसे पढ़ाया जा रहा है। जम्मू संभाग में 4678 स्कूलों में डोगरी भाषा पढ़ाई जा रही है और लगभग 94076 बच्चे डोगरी पढ़ रहे हैं।
निचले स्तर पर जरनल लाइन टीचर जबकि एलीमेंटरी लेवल पर संबंधी विषय को जानने वाले टीचर इसे पढ़ा रहे हैं। वहीं, 12वीं तक इसे अडिशनल सब्जेक्ट रखा गया है। डोगरी भाषा को पहले सिर्फ चार कालेजों में पढ़ाया जा रहा था लेकिन पिछले दो वर्षो में डोगरी को प्रोत्साहन देने के लिए 12 और कालेजों में पढ़ाया जा रहा है।
संभाग के जम्मू, सांबा, कठुआ, रियासी, ऊधमपुर और रामबन जिले के स्कूलों के बच्चों को डोगरी पढ़ाई जा रही है। जम्मू जिले के 1132 स्कूलों में 27220 बच्चे, सांबा जिले के 404 स्कूलों में 6720 बच्चे, कठुआ जिले के 1332 स्कूलों में 14182 बच्चे, रियासी जिले के 501 स्कूलों में 25107, ऊधमपुर जिले के 1263 स्कूलों में 17866 और रामबन जिले के 46 स्कूलों में 2981 बच्चे डोगरी पढ़ रहे हैं। संभाग के डोडा, किश्तवाड़, राजौरी एवं पुंछ जिले के किसी भी स्कूल में डोगरी नहीं पढ़ाई जा रही।
डायरैक्टर स्कूल निदेशक जीए कुरैशी के अनुसार प्राइमरी एवं अप्पर प्राइमरी स्कूलों में इस विषय को पढ़ाने वाले कितने टीचर हैं इसका डाटा अभी उपलब्ध नहीं है जबकि जरनल लाइन टीचर ही डोगरी पढ़ा रहे हैं जबकि दसवीं से ऊपर की कक्षाओं को डोगरी में पोस्ट ग्रेजुएट टीचर ही पढ़ा रहे हैं।
छोटी कक्षाओं को डोगरी भाषा पढ़ाने वाले जरनल लाइन टीचरों की सिलैक्शन सब्जैक्ट के आधार पर नहीं होती। किसी ने आर्ट्स, साइंस या कॉमर्स में बीए पास की होती है लेकिन डोगरी भाषा की बारीकियों के बारे में विशेष जानकारी नहीं होती।
दसवीं तक के सबजैक्ट को कोई भी जरनल लाइन टीचर पढ़ा सकता है इसलिए डोगरी भी यही टीचर पढ़ाते हैं जबकि डोगरी भाषा पढ़ाने के लिए विशेष टीचर को ही लगाया जाना चाहिए ताकि डोगरी भाषा को सही मायने में प्रोत्साहित किया जा सके(उदय भास्कर,दैनिक भास्कर,जम्मू,12.1.11)।
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