होम्योपैथिक फार्मासिस्ट के दो वर्षीय पाठ्यक्रम की काउंसलिंग में आए अभ्यर्थियों ने रविवार को होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड कार्यालय में जमकर हंगामा मचाया। उनका आरोप था कि फार्मासिस्ट प्रशिक्षण में अनियमितता हो रही है। पहले तो परीक्षा में उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी नहीं दी गई वहीं रिजल्ट आने के बाद कम्बाइंड रैंक से काउंसलिंग के लिए बुलाया गया, लेकिन अब काउंसलिंग कैटेगरी रैंक से हो रही है। मौके पर पहुंची पुलिस ने हंगामा कर रहे अभ्यर्थियों को शांत कराया।
नबीउल्लाह रोड स्थित होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड में रविवार को फार्मासिस्ट प्रशिक्षण के लिए काउंसलिंग थी। सुबह ११ बजे जैसे ही काउंसलिंग शुरू हुई प्रदेशभर से आए अभ्यर्थियों ने अनियमितता का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। उन्नाव की साधना व औरैया के प्रवीण कुमार ने बताया कि कांउसलिंग के लिए कम्बाइंड रैंक से बुलाया गया था जबकि काउंसलिंग कैटेगेरी रैंक से की जा रही है। इलाहाबाद के प्रदीप पटेल व वाराणसी से आए प्रदीप कुमार ने आरोप लगाया कि काउंसलिंग के लिए कम्बाइंड रैंक से सामान्य, पिछड़ा वर्ग और विकलांग वर्ग के १ से ७०० रैंक के सभी प्रशिक्षणार्थियों को बुलाया गया था। जबकि बोर्ड द्वारा काउंसलिंग के दौरान सिर्फ विकलांग अभ्यर्थियों को १ से ७०० तक कम्बाइंड रैंक से बुलाने की बात की जा रही है। इसी के बाद अथ्यर्थियों ने हंगामा शुरू कर दिया। अभ्यर्थियों के उग्र तेवर को देखते हुए बोर्ड के अधिकारियों ने पुलिस बुला ली। पुलिस के आने के बाद यहां माहौल शांत हुआ। बता दें कि राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालयों में फार्मासिस्ट की नियुक्ति के लिए पहले हाईस्कूल शैक्षिक योग्यता के अभ्यर्थियों का चयन किया जाता था। इनका प्रशिक्षण एक साल का होता था। लगभग १५ साल बाद होम्योपैथिक फार्मासिस्ट की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था। जिसमें शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट और दो साल के प्रशिक्षण का नियम था। २०० सीटों के लिए हजारों अभ्यर्थियों ने आवेदन किया और प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए। प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को ३० और ३१ जनवरी को बुलाया गया था। जिसमें हंगामा हो गया(अमर उजाला,लखनऊ,31.1.11)।
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