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31 जनवरी 2011

यूपीपीसीएस में इतिहास का जलवा कायम

सिविल सेवा (प्रा.) परीक्षा में भले ही वैकल्पिक विषय के विकल्प के तौर पर सीसैट को स्वीकार कर लिया गया हो लेकिन यूपी पीसीएस में वैकल्पिक विषय इतिहास का क्रेज आज भी कायम है। प्रारंभिक परीक्षा के लिए जमा हुए आवेदनों में सबसे अधिक इतिहास विषय के हैं। लोक सेवा आयोग में इतिहास विषय के ८५ हजार से अधिक आवेदन पत्र आए हैं जबकि कई अहम विषयों में इसके आधे आवेदक भी नहीं हैं।
आयोग के अधिकारियों ने बताया कि अबकी पीसीएस में रिक्तियों की संख्या अधिक होने की संभावना से पुराने छात्र, जिन्होंने खुद को प्रतियोगी परीक्षा की दौड़ से बाहर मान लिया था, ने भी आवेदन किया है। प्रतियोगी छात्रों का मानना है कि आईएएस प्री परीक्षा में वैकल्पिक विषय के बजाय सीसैट लागू होने के बाद नए प्रतियोगी छात्रों का रुझान उधर अधिक हुआ है, ऐसे में यूपी पीसीएस में पुराने छात्रों के लिए बेहतर मौका है।

पीसीएस परीक्षा के लिए इस बार आयोग में लगभग एक लाख ८५ हजार से अधिक फार्म आए हैं। तमाम वैकल्पिक विषयों के बीच अकेले इतिहास के ही ८५ हजार अभ्यर्थी होने से आयोग के अधिकारी भी हैरत में हैं। प्रतियोगी छात्रों का मार्गदर्शन करने वाले रनीश जैन और शशांक शेखर का कहना है कि सामान्य अध्ययन में इतिहास से सर्वाधिक सवाल होने और सफल अभ्यर्थियों में इस विषय के सर्वाधिक छात्र होते हैं। 
इतिहास के बाद सबसे अधिक अभ्यर्थी राजनीतिक शास्त्र और लोक प्रशासन के हैं। मुख्य परीक्षा में ये वैकल्पिक विषय सबसे मजबूत आधार बनते हैं। परीक्षा नियंत्रक मुरलीधर दुबे का कहना है कि सही संख्या का ब्योरा डाक और कोरियर से आए आवेदन पत्रों की छंटनी के बाद ही मिल सकता है। 
बढ़ गए आवेदक
पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा में लगातार आवेदकों की कम हो रही संख्या पर इस बार विराम लग गया है। पिछले परिणाम में बड़ी संख्या में सफलता से प्रतियोगी छात्र उत्साहित हैं जिसके कारण छह साल बाद इस बार सबसे अधिक आवेदक हैं(अमर उजाला,इलाहाबाद,30.1.11)।

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