स्थानीय जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से एक तिहाई बाहरी जजों की नियुक्ति की मांग की।
बार के प्रधान जी.एस. अटारीवाला ने कहा, बार एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर वर्ष 1993 की पॉलिसी को जारी रखे जाने की मांग की है। इसके मुताबिक एक तिहाई बाहरी जजों की नियुक्ति की जानी चाहिए। भास्कर ने सबसे पहले इस बात का खुलासा किया था कि हाईकोर्ट में 17 जजों के रिश्तेदार वकील हैं।
अटारीवाला ने कहा, इसके अलावा प्रस्ताव पारित किया गया है कि हाईकोर्ट जज के समक्ष उसके रिश्तेदार वकील का केस सुनवाई के लिए न लगाया जाए। इसके लिए वकीलों की एक रिफोर्म कमेटी का गठन करने का भी फैसला लिया गया है। कमेटी में वरिष्ठ वकील शामिल रहेंगे, जो वर्तमान परिस्थितियों में सुधार के कारगर उपायों पर काम करेंगे। बार एसोसिएशन द्वारा पारित इन प्रस्तावों की प्रति बार काउंसिल व सभी राज्य बार एसोसिएशन को भेजी जाएगी।
लगभग दो घंटे चली बैठक में सभी वकील एकमत थे कि न्यायपालिका पारदर्शिता से काम करे। बैठक को संबोधित करने वालों में वरिष्ठ वकील अनुपम गुप्ता, मंजीत खेहरा, डीएस नेहरा, आरएल बत्ता, एसडी शर्मा, रंजन लखनपाल, आरएस बैंस, राजीव गोदारा व एके सिन्हा शामिल रहे। अनुपम गुप्ता ने कहा कि भाई भतीजावाद की समस्या पूरे देश में है और इससे आंखें बंद कर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट जज का तो तबादला किया जा सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत जज इस मामले में विकट समस्या है। राजीव गोदारा ने कहा कि जिस दौर से न्यायपालिका गुजर रही है और बाबरी मस्जिद जैसे फैसलों पर सवाल उठाया जा रहा है वहां निष्पक्षता सुनिश्चित होनी चाहिए(ललित कुमार,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,14.1.11)।
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