देश के सबसे बड़े मेडिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट एम्स के साइंटिस्ट भेदभाव के शिकार हैं। सैलरी और सुविधाएं कम होने की वजह से पहले ही यहां पलायन की समस्या थी। अब एंप्लॉयी हेल्थ सर्विसेज और पार्किंग जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी उन्हें महरूम किया जा रहा है। ऐसे में पूरे रिसर्च विंग में काफी रोष है। एक सीनियर फैकल्टी सदस्य का कहना है यही रवैया रहा तो यहां समय पर रिसर्च प्रॉजेक्ट पूरा कर पाना मुश्किल होगा , क्योंकि इसके लिए लोग नहीं मिलेंगे।
एम्स में करीब 53 डिपार्टमेंट हैं और इनमें से लगभग सभी की रिसर्च विंग हैं। यहां हर साल कम से कम 600 रिसर्च प्रॉजेक्ट आते हैं। इन पर काम करने के लिए रेग्युलर साइंटिस्ट सिर्फ 50 के करीब ही हैं। बाकी 300 से ज्यादा लोग एडहॉक पर काम करते हैं। इनमें एमएससी से लेकर एमएससी पीएचडी और सालों के अनुभव वाले साइंटिस्ट शामिल होते हैं। मगर नियमित रिसर्चर्स की तुलना में इनकी सैलरी काफीकम होती है। एक सीनियर रिसर्चर कहते हैं कि हमें इंस्टिट्यूट में आवास की सुविधा नहीं मिलती। कई बार चार - पांच महीने तक सैलरी नहीं आती।
वजह पूछने पर कहा जाता है कि प्रॉजेक्ट पूरा होने पर मंत्रालय से पैसा आएगा तभी सैलरी मिलेगी , जबकि पहले प्रॉजेक्ट मंजूर होते ही सैलरी मिलनी शुरू हो जाती थी। केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक अब तक एडहॉक रिसर्चर के माता - पिता भी एंप्लॉई हेल्थ सर्विसेज ( ईएचएस ) में माता - पिता भी कवर्ड थे , मगर हाल में इंस्टिट्यूट ने बेवजह और पूर्व सूचना के यह सुविधा खत्म कर दी। पहले इंस्टिट्यूट की पार्किंग के स्टिकर साइंटिस्टों को भी मिलते थे , लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। कभी भी क्रेन गाड़ी उठाकर ले जाती है।
इतना ही नहीं , कई सालों से यहां काम कर रहे लोगों को भी छठा वेतन लागू होने के बाद अब तक सिर्फ एक साल का एरियर दिया गया है।
नया वेतन आयोग लागू होने के बाद उन लोगों की सैलरी पर कोई फर्क नहीं पड़ा है जो 2006 से पहले से मंजूर प्रॉजेक्ट पर काम कर रहे हैं , क्योंकि इंस्टिट्यूट के प्रशासन का कहना है कि इसके लिए मंत्रालय ने पहले से बजट फिक्स कर दिया है , जबकि अन्य देशों में मेडिकल रिसर्चर्स की काफी मांग रहती है। ऐसे में यहां कोई ठहरना नहीं चाहता। ज्यादातर लोग थीसिस पूरी होते ही पलायन कर जाते हैं। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में इंस्टिट्यूट को अपने प्रॉजेक्ट्स के लिए अच्छे लोग नहीं मिलेंगे(नीतू सिंह,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,8.1.11)।
बुरी हालत है।
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