सरकारी सेवक बनाने की मांग को लेकर लंबी लड़ाई लड़ने वाले होमगार्ड के जवानों के लिए सरकार नौकरी का पिटारा खोलने जा रही है। कारापाल और सिपाही के पद पर नियुक्ति में 50 फीसदी आरक्षण के बाद राज्य सरकार अब चपरासी के पद पर होने वाली भर्ती में होमगार्ड के जवानों को 50 फीसदी आरक्षण देने जा रही है। फिलहाल प्रदेश में चपरासी के करीब 20 हजार पद रिक्त होने का आकलन किया गया है। राज्य सरकार के इस नए निर्णय से चपरासी के 10 हजार पदों पर होम गार्ड के जवान ही काबिज होंगे। फिलहाल कई विभागों में होमगार्ड के जवान से चपरासी की सेवा ली जा रही है। नीति निर्माण से जुड़ लोगों का मानना है कि यह अपेक्षाकृत अनुशासित फोर्स है। इन्हें नियुक्ति के लिए तय की गई उम्र सीमा में पांच साल की छूट भी मिलेगी, जबकि पांच साल के ट्रेंड जवान ही चपरासी के पद पर नियमित नियुक्ति के लिए आवेदन कर सकेंगे। पांच साल के ट्रेंड होमगार्ड से चपरासी के पदों को भरने का सैद्धांतिक निर्णय किया गया है। विचार यह भी है कि साक्षर होमगार्ड को वाहन चालक या निम्नवर्गीय लिपिक के रूप में भी नियुक्त किया जाए। सरकार पांच साल के प्रशिक्षित होमगार्ड के जवानों की तलाश करने जा रही है। 1989 के बाद करीब दो दशक तक होमगार्ड में नया नामांकन नहीं हुआ। नीतीश सरकार के सत्ता में आने के बाद करीब आठ-नौ हजार लोगों को होमगार्ड में नामांकित हुए। इस बीच नीतीश शासन में सिपाही बहाली में बड़ी संख्या में जवान लाभांवित हुए, जबकि 11 हजार सिपाहियों की नई नियुक्ति में भी 3-4 हजार लोग कतार में हैं, मगर मामला अदालत में चला गया है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,8.1.11)।
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