मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

29 जनवरी 2011

झारखंडःविवि में शिक्षकों की भारी कमी

झारखंड के पांच विवि में लगभग एक हजार 08 शिक्षकों के पद रिक्त हैं. इन विवि में 3477 पद स्वीकृत हैं, जबकि 2469 शिक्षक कार्यरत हैं. दो लाख से अधिक विद्यार्थियों के लिए राज्य में 2471 शिक्षक हैं. दरअसल झारखंड में किसी भी सरकार ने उच्च शिक्षा को अपने एजेंडे में शामिल नहीं किया. सिर्फ खानापूर्ति की गयी. दूसरी तरफ शिक्षकों को भारी भरकम वेतन तो मिल गया, लेकिन विद्यार्थी को गुणवत्तायुक्त पढ़ाई नसीब नहीं हो सकी.


झारखंड में ही देखा जाये, तो विनोबा भावे विवि को छोड़, किसी भी कॉलेज का अपना इंजीनियरिंग कॉलेज तक नहीं है. जो भी इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज हैं, सभी संबद्धता प्राप्त हैं. विवि के साथ-साथ इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट ओद संस्थान खोलने के लिए सरकार जमीन तक उपलब्ध नहीं करा पा रही है. विवि में यूजीसी के नियमानुसार 180 दिनों की पढ़ाई होनी है, लेकिन अमूमन 90 से 120 दिनों की ही पढ़ाई सही ढंग से हो पाती है. 

कई शिक्षक ऐसे हैं, जो वेतन पाते हैं सरकार से, लेकिन टय़ूशन पर ज्यादा ध्यान देते हैं. राज्य में सामान्य शिक्षा के लिए पांच विवि हैं. इनमें रांची विवि व विनोबा भावे विवि में शिक्षकों की भारी कमी है. सबसे दुखद पहलू यह है कि विवि में प्रोफ़ेसर व रीडर के पद स्वीकृत नहीं हैं. जो भी नियुक्ति हो रही है, वह लेक्चरर के पद पर हो रही है. 

पर्सनल प्रमोशन की बदौलत शिक्षक रीडर व प्रोफ़ेसर बन रहे हैं. रांची विवि में लगभग 70 हजार विद्यार्थी (अंगीभूत, संबद्ध व पीजी मिला कर) अध्ययनरत हैं. जबकि 1136 स्वीकृत पद के विरुद्ध एक हजार शिक्षक ही कार्यरत हैं. यानी136 पद रिक्त हैं. इसी प्रकार नीलांबर-पीतांबर विवि में 381 स्वीकृत पद के विरुद्ध 135 शिक्षक कार्यरत हैं. 

यानी 246 पद रिक्त हैं. जबकि इस विवि में लगभग 40 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. विनोबा भावे विवि, हजारीबाग में शिक्षकों के 856 पद स्वीकृत हैं, जबकि 599 शिक्षक ही कार्यरत हैं. यहां 50 हजार से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. सिदो-कान्हू मुरमू विवि में शिक्षकों के 518 पद स्वीकृत हैं, जबकि कार्यरत सिर्फ 351 हैं. 

कोल्हान विवि में 586 पद स्वीकृत हैं और इसके विरुद्ध 384 शिक्षक कार्यरत हैं. झारखंड के विवि अंतर्गत कॉलेजों में शहर के कुछ कॉलेजों को छोड़ दें, तो ग्रामीण व दूरदराज के कॉलेजों की स्थिति बहुत ही खराब है. कॉलेजों में पानी व बिजली सहित क्लास रूम की दिक्कतें हैं. 

दूरदराज के कॉलेजों में प्रयोगशाला व पुस्तकालय की स्थिति भी ठीक नहीं है. जिन शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है, वे भी शहर के कॉलेजों में प्रतिनियुक्ति या फिर स्थानांतरण करवा ले रहे हैं. शिक्षक व कर्मचारी वेतन व बकाया पाने के लिए साल में कई महीने आंदोलन करते रहते हैं(प्रभात खबर,रांची,29.1.11).

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।