कॉलेजों में स्टडी आवर्स के मुद्दे पर न सीसीएस यूनिवर्सिटी की चली और न ही टीचर्स की। शासन के हस्तक्षेप के बाद टीचर्स को जरुरी प्रतिदिन 5 घंटे पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया है। शासन से मिले निर्देशों को यूनिवर्सिटी ने भी कॉलेजों को सर्कुलर जारी कर अनिवार्य कर दिया है।
इस वर्ष नया सेशन शुरु होते ही चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी ने टीचर्स को यह भी जरूरी कर दिया था कि एक टीचर को प्रतिदिन 7 घंटे पढ़ाना अनिवार्य होगा। इस संबंध में कॉलेजों को सर्कुलर भी जारी कर दिया था। पूरे वर्ष विरोध जारी होने से यूनिवर्सिटी और टीचर्स का समय सफाई देने और लेने में ही गुजर गया और यह स्टडी आवर्स कॉलेजों में लागू ही नहीं हो सका। इस बीच प्रिंसिपल भी सरकारी टीचरों के सामने असहाय साबित हुए जबकि सेल्फ फाइनेंस्ड में भी फिर भी टीचर्स ने इसे मान लिया। ऐसे समय में प्रिंसिपल ने टीचर्स के प्रमोशन में आने वाली दिक्कतों का हवाला देते हुए भी इसे लागू कराने की कोशिश की। इसके बावजूद भी मसला हल नहीं हुआ।
यह मामला शासन स्तर तक पहुंचने पर भी विशेष सचिव ने भी यूनिवर्सिटी को सर्कुलर जारी कर निर्देश दिए थे कि शासन के संज्ञान में आया कि समस्त एकडेमिक और सेल्फ फाइनेंस्ड कॉलेजों में कक्षाओं का संचालन ठीक तरीके से नहीं होने के कारण पढ़़ाई का माहौल नहीं बन पा रहा है। इसलिए कॉलेजों में सत्र के दौरान शिक्षण कार्य दिवसों की संख्या और स्टूडेंट्स की अटेंडेंस, प्रत्येक विषय के अध्यापकों की जानकारी के साथ-साथ निर्धारित कक्षाओं के सापेक्ष संचालित कक्षाओं की संख्या भी कॉलेजों से मंगाई गई थी। इस बारे में चौधरी चरण यूनिवर्सिटी के वीसी प्रफेसर एन. के. तनेजा ने बताया कि शासन से मिले निर्देशों के अुनसार स्टडी आवर्स कॉलेज में अप्लाई कराने के लिए सर्कुलर जारी कर दिया है। विद्यावती मुकंदलाल गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अंजलि गुप्ता ने बताया कि कॉलेजों को यूजीसी नॉर्म्स के मुताबिक टीचर्स के पढ़ाए जाने का सर्कुलर भी मिल चुका है। जिसे कॉलेजों में जल्द ही अप्लाई किया जाएगा(गीतरानी,नवभारत टाइम्स,गाजियाबाद,20.1.11)।
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