शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट स्कूलों को भी 25 प्रतिशत बच्चों को मुफ्त शिक्षा देनी होगी। इनके लिए प्रोस्पेक्टस भी बिल्कुल मुफ्त रहेगा। अन्य कैटिगरी के बच्चों के लिए 100 रुपये से अधिक का प्रास्पेक्टस नहीं बेचा जाएगा। यह बात राइट टु एजुकेशन विशेषज्ञ डॉ. डी. एन. राव ने स्कूल प्राचार्यों से कही। डॉ. राव ने सुशांत लोक स्थित हेरिटेज स्कूल में मंगलवार को सभी स्कूलों के प्राचार्यों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम की जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि स्कूलों को आवेदन के लिए अभिभावकों को 15 दिन का समय देना होगा। किसी भी बच्चे को दाखिले के लिए मना नहीं किया जा सकता। यदि किसी अभिभावक से इस तरह की शिकायत मिली तो स्कूल और स्कूल प्रशासन पर सख्त कार्रवाई होगी। इस मीटिंग में जिले के हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई से मान्यता प्राप्त सभी स्कूलों के प्राचार्य और मुख्य अध्यापक शामिल थे। इन 25 प्रतिशत बच्चों से फीस के अलावा अन्य किसी तरह का फीस भी नहीं ली जाएगी। यदि किसी स्कूल में सीटों की संख्या रिक्त रह जाती है तो वह स्कूल शिक्षा विभाग से सीटों को बदलने का आवेदन कर सकता है। लेकिन इससे पहले उसे सीटों के रिक्त होने का प्रचार मीडिया के माध्यम से करना होगा।
स्कूलों को एडमिशन से पहले अपने यहां कुल सीटों का ब्यौरा सार्वजनिक करना होगा। ताकि जानकारी के अभाव में अभिभावक और छात्र दाखिले से वंचित न रहे। यदि शिक्षा के अधिकारअधिनियम के हनन का किसी भी तरह का मामला किसी स्कूल के खिलाफ दर्ज होता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। अगले शैक्षणिक सत्र में इसी आधार पर दाखिला होगा। दाखिले के समय स्कूलों को शिक्षा विभाग को भी पूरी जानकारी देनी होगी। सभी तरह की जानकारियां पूरी तरह पारदर्शी होंगी। अभिभावकों और विभाग को स्कूलों द्वारा यह बताया जाएगा कि 25 प्रतिशत सीटों का लाभ किन बच्चों को मिल रहा है और कितनी सीटें इसके लिए सुरक्षित की गई हैं(नवभारत टाइम्स,गुड़गांव,2.2.11)।
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