इस वर्ष निजी विद्यालयों में नामांकन पूर्व के नियमों के आधार पर लिया जायेगा। सुप्रीम कोर्ट का अन्तिम फैसला आने के बाद ही शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने पर विद्यालय प्रबंधन विचार करेगा। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर ही विद्यालयों की नामांकन नीति में किसी प्रकार का बदलाव होगा। राजधानी के अधिकांश विद्यालयों में कल से नामांकन के लिए फार्म की बिक्री शुरू कर दी जायेगी। यह निर्णय राजधानी के अधिकांश विद्यालयों के प्राचार्यो ने बैठक के बाद लिया है।
बिहार प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डा.डी.के.सिंह ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून अब इस वर्ष लागू करना संभव नहीं है। 2 फरवरी यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में शिक्षा का अधिकार कानून को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई होने वाली है लेकिन अन्तिम फैसला आने में अभी समय लगेगा।
श्री सिंह ने कहा कि निजी विद्यालयों में नामांकन के लिए दिसम्बर एवं जनवरी का समय काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में और अधिक दिनों तक नामांकन के लिए इंतजार करना संभव नहीं है। कल से नामांकन की प्रक्रिया पुराने नियमों के आधार पर शुरू कर दी जायेगी।
निजी विद्यालयों के लिए शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का नामांकन लेना सबसे बड़ी समस्या है। विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि गरीब बच्चों को पढ़ाने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन उन पर आने वाले खर्च को सरकार वहन करे।
नहीं बनी गाइडलाइन
निजी विद्यालयों के प्राचार्यो का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करने से पहले राज्य सरकार को गाइड लाइन बनानी है। निजी विद्यालय पिछले एक वर्ष से शिक्षा का अधिकार कानून संबंधित गाइड लाइन मांग रहे हैं। लेकिन अब तक सरकार द्वारा निजी विद्यालयों को इस संबंध में कोई गाइड लाइन नहीं भेजी गयी है(नीरज कुमार,दैनिक जागरण,पटना,2.2.11)।
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