इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड इलाहाबाद की कार्य प्रणाली पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि बोर्ड ने भारी संख्या में ऐसे पदों को भरने का विज्ञापन निकाला जो पद खाली ही नहीं थे। न्यायालय ने कहा है कि आज लोक सेवाओं में सूचना एवं संचार की तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है और बोर्ड सूचनाएं मंगाने के लिए बैलगाड़ी का तरीका अपनाए हुए है। बिना समुचित सत्यापन कराये सैकड़ों अभ्यर्थियों को परेशानी में डाल दिया। इसी के साथ न्यायालय ने एकल न्यायपीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल चयन बोर्ड की विशेष अपील खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी तथा न्यायमूर्ति जयश्री तिवारी की खण्डपीठ ने दिया है। उल्लेखनीय है कि चयन बोर्ड ने प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों में सोशल साइंस के 399 पदों का विज्ञापन निकाला। इस मामले में दाखिल याचिका पर पारित निर्देश के बाद बोर्ड ने 128 पदों के लिए 620 अभ्यर्थियों का परिणाम घोषित किया। जिस पर याचिका दाखिल कर यह मांग की गयी कि कुल विज्ञापित 399 पदों का परिणाम घोषित करने की मांग की। न्यायालय को बताया गया कि 271 पदों को विभिन्न मदों में भरा जा चुका है। इसलिए 128 पद ही खाली हैं। एकल न्यायपीठ ने बोर्ड को निर्देश दिया कि 57 पदों के अलावा अन्य सभी विज्ञापित पदों के लिए चयन किया जाय और दो माह में अन्तिम परिणाम घोषित किया जाय। बोर्ड ने इसी आदेश को अपील में चुनौती दी थी। न्यायालय ने कहा कि एकल न्यायपीठ के फैसले को सही करार दिया और कहा कि न्यायाधीश का दायित्व है कि वह कानून की मांग को भांप कर जनहित में कानून की सही व्याख्या करे(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,1.2.11)।
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