कुलपति का पावर सीज होने के प्रकरण के लगभग महीना दिन बितने के बावजूद विवि में कुलपति की नियुक्ति न होने से वीर कुंवर सिंह विवि प्रशासन पसोपेश में पड़ता नजर आ रहा है। डिग्री से लेकर फाइल संबंधी मामलों में सभी पदाधिकारी किंकर्त्तव्याविमूढ़ होकर राजभवन के अगले आदेश की ओर टकटकी लगाये है। कुलपति का प्रभार किसी को न मिल पान से जहां विवि का कामकाज पूरी तरह से ठप्प पड़ा है वहीं कई छात्र-छात्राओं की नौकरियां भी दाव पर लगती नजर आ रही है। विभिन्न बैंकों व विभागों द्वारा जारी किये गये साक्षात्कार तिथियां नजदीक आने के साथ हीं उन अभ्यर्थियों पर भी शामत आन पड़ी है जिनकी डिग्रियां कुलपति के हस्ताक्षर के वगैर आलमीरा में हफ्तों से बंद पड़ी है। जून माह के प्रथम सप्ताह में एसएससी, सीपीओ के अलावा लगभग आधा दर्जन बैंकों के क्लर्क व पीओ के साक्षात्कार भी प्रारंभ हो रहे है। लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों मूल प्रमाण पत्र (डिग्री) के लिए आवेदन तो दे डाला लेकिन हस्ताक्षर के वगैर डिग्रियां अब तक छात्रों के पहुंच से दूर है जबकि दो दिनों बाद साक्षात्कार भी प्रारंभ होने वाला है वो तो भला हो विवि के प्रतिकुलपति डा़ तपन कुमार शांडिल्य व परीक्षा नियंत्रक डा़ अनवर इमाम का जिन्होंने आनन फानन में छात्रों को हाथों हाथ प्रोवीजनल सर्टिफिकेट देने का फैसला लिया। विवि द्वारा को दिये गये प्रोविजनल सर्टिफिकेट को ले छात्र-छात्राएं भी सशंकित है कि कहीं साक्षात्कार में सर्टिफिकेट को मान्य ही न माना जाए। कुलपति के हस्ताक्षर के वगैर अज्रेंट व जेनरल माध्यम से लगभग 850 डिग्रियां अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी है। डिग्री संबंधी मामलों में प्रतिकुलपति डा़ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि राजभवन द्वारा कुलपति की नियुक्ति किये जाने के बाद सबसे पहले छात्र-छात्राओं का डिग्री संबंधी मसला सुलझाया जाएगा। साथ हीं लेबित पड़े फाइलों को भी तेजी से निपटाने का कार्य किया जाएगा(राष्ट्रीय सहारा,आरा,31.5.11)।
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