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29 जून 2011

उत्तराखंडःपीजी स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम लागू, शिक्षक व छात्र नहीं मार सकेंगे कक्षाओं से बंक

कक्षाओं से जी चुराना अब शिक्षकों व छात्रों के लिए आसान नहीं होगा। गढ़वाल केंद्रीय विवि ने सत्र 2011-12 से सम्बद्ध महाविद्यालयों में भी पीजी स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम लागू करने जा रहा है। इस संबंध में विविद्यालय से विधिवत जानकारी मिलने के बाद कालेजों के होश उड़ गए हैं। सेमेस्टर सिस्टम को लेकर अभी तक कालेजों में कोई तैयारी नहीं है। कालेज इस स्थिति के लिए विवि को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। गढ़वाल केंद्रीय विविद्यालय के साथ-सम्बद्ध महाविद्यालयों में पीजी पाठय़क्रमों की पढ़ाई में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। पहले की तरह कक्षाओं से न तो छात्र गायब मिलेंगे और न शिक्षक । परीक्षा देने के लिए छात्रों को कक्षाओं में आना ही पड़ेगा, क्योंकि 75 प्रतिशत उपस्थिति होने पर ही संबंधित छात्र-छात्रा को परीक्षा में बैठने दिया जाएगा। अलबत्ता विशेष परिस्थिति में संबंधित विषय का विभागाध्यक्ष 10 प्रतिशत की छूट दे सकता है। सेमेस्टर सिस्टम में 40 प्रतिशत अंक कालेज के शिक्षकों के पास रहेगा, जबकि 60 प्रतिशत अंक के लिए सेमेस्ट की समाप्ति पर मुख्य परीक्षा होगी। इसके लिए शिक्षकों को हर सेमेस्टर में दो बार छात्रों का मूल्यांकन करना होगा। यह मूल्यांकन लिखित टेस्ट अथवा सेमिनार में लेक्चर के आधार पर किया जाएगा। इन सबके लिए शिक्षकों को कक्षाओं में जाकर पढ़ाना एवं छात्रों की हाजिरी भी लेनी पड़ेगी। मूल्यांकन के आधार पर मिले अंक को विभागाध्यक्ष द्वारा विवि को भेजा जाएगा। कालेज स्तर पर होने वाले मूल्यांकन व मुख्य परीक्षा के अंकों को जोड़कर ही छात्रों का परिणाम घोषित किया जाएगा, जिसमें अंकों की जगह ग्रेड प्वाइंट दिया जाएगा। इससे जाहिर होता है कि सेमेस्टर पण्राली पूरी तरह छात्रों के हित में है लेकिन डीएवी जैसे कालेजों के लिए सेमेस्टर सिस्टम किसी मुसीबत से कम नहीं होगा। सेमेस्टर सिस्टम को लेकर विवि ने सभी कालेजों को पत्र भेज दिया है जिसमें नई व्यवस्था से संबंधित सभी आवश्यक नियमों की जानकारी दी गई है। इसके साथ ही विवि ने विस्तृत वार्ता के लिए एक जुलाई को सभी कालेजों को प्राचार्य को श्रीनगर बुलाया है। उक्त बैठक में सेमेस्टर सिस्टम में आने वाली संभावित दिक्कतों पर चर्चा होने के आसार हैं। बहरहाल विवि के पत्र से अनेक कालेजों के होश उड़े हुए हैं। सेमेस्टर सिस्टम को लेकर कालेजों के सामने बड़ी दिक्कत शिक्षकों की कमी है। सरकारी के गैर सरकारी महाविद्यालयों में शिक्षकों के पद बड़ी सख्यां में रिक्त हैं। ऐसे में प्रत्येक प्रश्न पत्र के लिए सेमेस्टर के दौरान दो मर्तबा टेस्ट व मूल्यांकन करना आसान नहीं होगा। कालेज स्तर पर पूर्ण कालिक परीक्षा प्रभारी न होने से भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही टेस्ट के लिए आवश्यक बजट कौन उपलब्ध कराएगा इस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कालेज के मूल्यांकन के आधार पर मिलेंगे 40 प्रतिशत अंक एक सेमेस्टर में दो बार देना होगा छात्र- छात्राओं को टेस्ट ‘ विविद्यालय को इतना बड़ा निर्णय लेने से पहले कालेजों को विास में लेना चाहिए था। सेमेस्टर सिस्टम में किस तरह की दिक्कतें आ सकती हैं, उन्हें कैसे दूर किया जाएगा पहले इस पर चर्चा होनी चाहिए थी। विवि ने यह निर्णय दो-तीन माह पहले ले लिया था, लेकिन कालेजों में अब जानकारी दी जा रही है जब सत्र शुरू होने वाला है। सेमेस्टर सिस्टम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की नियुक्ति व पर्याप्त बजट की जरूरत है।’ डा. ओपी कुलश्रेष्ठ, प्राचार्य डीबीएस कालेज(राजकिशोर तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,29.6.11)

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