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28 जुलाई 2011

छत्तीसगढ़ःलोक सेवा आयोग को तीन विषयों में यूजीसी से सलाह लेने का हाईकोर्ट का आदेश

सहायक प्राध्यापक मामले में हाईकोर्ट में बहस दूसरे दिन भी जारी रही। बुधवार को हाईकोर्ट ने पीएससी को अंग्रेजी, संस्कृत, कामर्स विषयों में यूजीसी से सलाह लेने के निर्देश देते हुए यूजीसी को एक माह में भीतर इसमें फैसला लेने को कहा है।

इन विषयों में एमफिल करने वाले छात्रों ने पीएससी द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। आज हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पांच मामले निराकृत कर दिए हैं। शेष मामलों की सुनवाई गुरुवार को होगी। पीएससी ने प्रदेश के कालेजों में सहायक प्राध्यापक के भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें 878 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए थे।

इसमें भाषा विज्ञान, कामर्स भी शामिल थे। इसमें उदिता श्रीवास्तव, बेनीराम देवांगन, यास्मिनी तिवारी, देवेन्द्र मिश्रा सहित अन्य ने भी आवेदन किया। पीएससी द्वारा ली गई प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद इनके आवेदन निरस्त कर दिए गए। इन्हें कारण बताया गया कि भाषा विज्ञान और कामर्स विषय के लिए आवेदन मंगाए गए थे, जबकि इन्होंने क्रमश: अंग्रेजी, संस्कृत, अर्थशास्त्र में एमफिल किया है।

बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान इन्होंने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि भाषाविज्ञान अंग्रेजी और संस्कृत जैसे विषयों की एक शाखा होती है। इसी तरह अर्थशास्त्र भी कामर्स का एक विषय है। इस तरह पीएससी द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराना उचित नहीं है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इन विषयों के संबंध में यूजीसी से गाइडलाइन लेने का निर्देश पीएससी को दिया।


यूजीसी को एक माह के भीतर इसमें फैसला लेने को भी कहा गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि छात्र यदि चाहे तो एक सप्ताह के भीतर शासन के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं। इसके साथ ही विषय से संबंधित पांच याचिकाएं हाईकोर्ट ने निराकृत कर दी हैं। अन्य मामलों की सुनवाई गुरुवार जस्टिस आईएम कुद्दसी और जस्टिस एनके अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। 
बुधवार को याचिकाकर्ताओं की ओर से राजेश श्रीवास्तव, अनुराग दयाल श्रीवास्तव, मतीन सिद्दिकी पीएससी की ओर से वाईसी शर्मा, अभिषेक सिन्हा और शासन की ओर से यशवंत सिंह ठाकुर ने पैरवी की। उल्लेखनीय है कि पीएससी ने सहायक प्राध्यापकों के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा ली थी। 

परीक्षा के बाद लगभग 54 से अधिक दायर किए गए। इसमें मुख्य रूप से शासन द्वारा शिक्षाकर्मियों को 45 वर्ष की आयु तक फार्म भरने की छूट देने और वर्षो से संविदा पर सहायक प्राध्यापक पद पर कार्य कर रहे अभ्यर्थियों को यह छूट न देकर उन्हें मात्र 30 वर्ष या छत्तीसगढ़ का स्थानीय निवासी के आधार पर 35 वर्ष तक की छूट देने के खिलाफ दायर की गई थी(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,28.7.11)।

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