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04 जुलाई 2011

उत्तराखंडःतीन वर्षीय कृषि डिग्रीधारकों का भविष्य लटका

तीन साल की बीएससी कृषि विज्ञान की डिग्री वालों पर एमएससी में प्रवेश का संकट मंडरा रहा है। कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पास करने के बावजूद कई कृषि विविद्यालय अपने एमएससी कोर्स में तीन की बजाय चार साल की डिग्री वाले विद्यार्थियों को प्रवेश दे रहे हैं। वह भी तब जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के लिए तीन और चार साल वाले दोनों तरह की डिग्री वाले अभ्यर्थियों को अर्ह माना गया था। आईसीएआर से देश भर के 70 कृषि विविद्यालय जुड़े हैं।आईसीएआर इन विवि में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करवाता है। बता दें कि कृषि विज्ञान, पशु चिकित्सा विज्ञान, गृह विज्ञान, डेयरी टेक्नोलॉजी जैसे 90 विषयों के लिए आईसीएआर ने 17 अप्रैल को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित किया था। अब हाल यह है कि कृषि विविद्यालयों में तीन साल वाले डिग्री धारियों को या तो प्रतीक्षा सूची में रखा जा रहा है या प्रवेश ही नहीं दिया जा रहा। इस प्रवेश परीक्षा में तीन और चार वर्षीय पाठय़क्रम पूरा करने वाले अभ्यर्थियों को बैठने की इजाजत थी। जून के अंतिम सप्ताह में प्रवेश परीक्षा में पास करने वालों की काउंसिलिंग के लिए बुलाया भी गया था लेकिन जब सीट आवंटन की बात आई तो तीन और चार साल की डिग्री का अंतर पैदा कर दिया गया। यह भी ध्यान नहीं रखा गया कि किसी ने प्रवेश परीक्षा में कौन सा रैंक हासिल किया है। सूत्रों की मानें तो मजेदार बात यह है कि आईसीएआर प्रवेश में अपनी भूमिका से इनकार कर रहा है । आईसीएआर अधिकारियों के मुताबिक आईसीएआर की भूमिका महज प्रवेश परीक्षा संपन्न कराने तक ही सीमित है। अब काउंसिलिंग के बाद हर विवि अपनी नीति के हिसाब से काम कर रहा है। गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि, हिमाचल कृषि विवि, पंजाब कृषि विवि तीन साल के कृषि स्नातकों को पीजी कोर्स में प्रवेश दे रहे हैं लेकिन असम विवि, नागालैंड विवि, वाराणसी विवि, अलीगढ़ विवि तीन वर्षीय पाठय़क्रम करने वालों को प्रवेश नहीं दे रहे। आईसीएआर के जरिये विवि स्नातक कोर्स में 15 प्रतिशत सीटों व व स्नातकोत्तर में 25 प्रतिशत सीटों के लिए विद्यार्थियों का प्रवेश होते हैं शेष विवि स्थानीय लोगों को प्रवेश देते हैं। ऐसे में काउंसिलिंग में जिन विद्यार्थियों को वे विवि मिले हैं जहां चार वर्षीय पाठय़क्रम वालों को ही प्रवेश दिया जा रहा है वे बहुत परेशान है। उन्हें आशंका है कि कृषि में एमएससी करने से वंचित रह जाएंगे(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,4.7.11)।

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