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30 जुलाई 2011

नागपुरःविद्यार्थियों के रुख ने निकाली कालेजों की हवा

विद्यार्थियों के रुख ने कई कनिष्ठ महाविद्यालयों को बंद होने की कगार पर पहुंचा दिया है। कुछ ऐसे कालेज हैं, जिनके अनुदान पर तलवार लटक गई है। ऐसे भी कालेज हैं, जहां शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है।

यह शामत कक्षा 11वीं में दाखिले को लेकर विद्यार्थियों के रुख के कारण हुआ है। प्रवेश प्रक्रिया के दौरान वाणिज्य और विज्ञान संकाय के लिए कई कालेजों का चयन नहीं किया।

भास्कर के पास मौजूद सूची के मुताबिक वाणिज्य पाठ्यक्रम संचालित करने वाले 25 महाविद्यालयों को एक भी विद्यार्थी ने वरीयता नहीं दी है। होम साइंस पाठच्यक्रम संचालित करने वाले एक महाविद्यालय की भी यही स्थिति है। अन्य पांच कालेजों को 10 से भी कम विद्यार्थियों ने वरीयता दी है।

विज्ञान संकाय के 12 कालेजों को एक भी विद्यार्थी ने वरीयता नहीं दी है। 80 से अधिक महाविद्यालयों को 20 से भी कम विद्यार्थियों ने वरीयता दी है। बुरा हाल कला संकाय संचालित करने वाले महाविद्यालयों की है। रूझान नहीं के बराबर होने के कारण 80 फीसदी सीटें रिक्त हैं।

जिन विद्यार्थियों को उनके पसंद के कालेज में दाखिला नहीं मिला है, वे एलॉट किए गए कालेजों में भी दाखिला नहीं ले रहे हैं। जुगाड़ तकनीक के सहारे वे इच्छित महाविद्यालय में दाखिले के लिए कोशिश कर रहे हैं।

गत 26 जुलाई को कक्षा 11वीं की मेरिट सूची जारी होने के बाद से इन कालेजों के कर्ताधर्ता और शिक्षकों को अब शिक्षा विभाग की ओर से होने वाली संभावित कार्रवाई की चिंता खाए जा रही है। इनकी चिंता 30 जुलाई के बाद और बढ़ जाएगी।


जिन विद्यार्थियों को एलॉटमेंट हुआ है उन्हें 29 जुलाई तक संबंधित कालेज में दाखिला लेना है। प्रवेश प्रक्रिया खत्म होने के बाद शिक्षा विभाग ऐसे कालेजों की सूची तैयार करकार्रवाई की योजना बना रहा है। विभाग के सूत्रों की मानें तो कार्रवाई लगभग तय है। अधिकारी नियमों की अनदेखी कर कालेजों को अभयदान नहीं दे सकते है। 

क्या हैं नियम

कनिष्ठ महाविद्यालयों की मान्यता बचाने के लिए एक कक्षा में कम से कम 30 विद्यार्थी का होना जरूरी है। यदि इससे कम विद्यार्थी हुए तो कालेज के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, जिसके तहत शिक्षा विभाग अनुदानित कनिष्ठ महाविद्यालय को सरकार से मिलने वाला अनुदान कम और बंद दोनों करा सकता है। 

अतिरिक्त शिक्षकों को कहीं और भेजा जा सकता है। यदि कालेज बिना अनुदानित या कायम बिना अनुदानित है, तो उसकी प्रवेश क्षमता को कम किया जा सकता है। कालेज बंद भी करने का अधिकार शिक्षा विभाग के पास है। 

जिन कालेजों को बंद करने का फैसला लिया जाता है, उन महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को दूसरे कालेज में भेजा जाता है। संस्था सेल्फ फाइनेंस होने से यहां पढ़ाने वाले शिक्षकों को विद्यार्थियों के अभाव में नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है(दैनिक भास्कर,नागपुर,30.7.11)।

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