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11 जुलाई 2011

डीयू के स्पोर्ट्स कोटे में धांधली

डीयू ने इस बार स्पोर्ट्स कोटे के एडमिशन की पूरी जिम्मेदारी कॉलेजों को दे दी और कॉलेजों की मनमानी भी शुरू हो गई है। स्पोर्ट्स कोटे के एडमिशन में 100 नंबर का फॉर्म्युला है और 75 पर्सेंट वेटेज स्पोर्ट्स सटिर्फिकेट को दी जा रही है। स्पोर्ट्स सटिर्फिकेट को लेकर गड़बड़ी की शिकायतें आनी भी शुरू हो गई हैं। स्टूडेंट्स अपनी शिकायतें लेकर कॉलेज प्रिंसिपलों और यूनिवसिर्टी के पास पहुंच रहे हैं।

यूनिवसिर्टी के नियम कहते हैं कि नैशनल चैंपियनशिप, जूनियर नैशनल चैंपियन या फिर स्टेट लेवल पर बढि़या प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों को एडमिशन में प्राथमिकता दी जानी चाहिए लेकिन स्पोर्ट्स सटिर्फिकेट में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आ रही हैं। यूनिवसिर्टी के सत्यवती कॉलेज में स्पोर्ट्स कोटे के एडमिशन का प्रोसेस रोक दिया गया है। दरअसल स्टूडेंट्स की शिकायतों के बाद एडमिशन ग्रीवांस कमिटी ने सिफारिश की थी कि जब तक पूरे मामले की जांच न हो जाए, तब तक स्पोर्ट्स के एडमिशन न किए जाएं।

कॉलेज में यह मसला गंभीर हो गया है क्योंकि एडमिशन कमिटी के कन्वीनर ने स्पोर्ट्स कमिटी के कन्वीनर पर बदसलूकी करने का आरोप लगाया है। एडमिशन कमिटी के कन्वीनर ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है हालांकि अभी उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है।

डीयू के अधिकारी भी यह मानते हैं कि स्पोर्ट्स कोटे के एडमिशन में धांधली की शिकायतें आती हैं। डीयू कॉलेजों में स्पोर्ट्स कोटे के एडमिशन प्रोसेस पर नजर रखने की बात तो करता है लेकिन इस धांधली को पकड़ नहीं पाता। पिछले साल यूनिवसिर्टी ने बड़ा कदम उठाते हुए सेंट्रलाइज्ड ट्रायल कराने का फैसला किया था लेकिन इस साल कॉलेजों को ही ट्रायल कराने की जिम्मेदारी दे दी। स्पोर्ट्स कोटे में सटिर्फिकेट का खेल भी बड़ा होता है।


नैशनल स्कूल गेम्स खेलने वाले भी अप्लाई कर सकते हैं। लेकिन ऐसे भी केस सामने आते हैं, जिनमें अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स ऑल इंडिया चैंपियनशिप जैसे सटिर्फिकेट पेश करते हैं जबकि इस तरह की प्रतियोगिता कोई प्राइवेट क्लब आयोजित करवाता है और सटिर्फिकेट पर ऑल इंडिया लिख दिया जाता है। 

सूत्र बताते हैं कि कई केस ऐसे होते हैं जिनमें कॉलेज दूसरे स्टेट के चैंपियन प्लेयर को एडमिशन दे देते हैं और वह प्लेयर कॉलेज को ट्राफी जिताने में काफी अहम किरदार भी निभाता है। बाद में वह प्लेयर कॉलेज छोड़कर अपने स्टेट लौट जाता है। इस तरह कॉलेज अपना नाम ऊंचा करते हैं। 

खास बात यह है कि कुछ कॉलेजों ने तो अपने यहां स्पोर्ट्स कोटे के एडमिशन को बंद कर दिया है। कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज, दयाल सिंह ईवनिंग कॉलेज समेत कई कॉलेजों में स्पोर्ट्स कोटे के एडमिशन नहीं होते। इन कॉलेजों का कहना है कि स्पोर्ट्स कोटे के एडमिशन किए बिना ही बेहतर स्टूडेंट्स आ जाते हैं, जो कॉलेज को कई इवेंट में प्राइज दिलवा रहे हैं(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,11.7.11)।

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