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15 जुलाई 2011

छत्तीसगढ़ में पीएससी घोटालाःफर्जीवाड़े की भनक लगते ही क्लर्क का हस्ताक्षर से इन्कार

बहुचर्चित पीएससी भर्ती घोटाला 2003 में नया खुलासा हुआ है। सूचना के अधिकार के तहत निकाली गई ताजा जानकारी से पता चला है कि चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी होने के समय ही अधिकारियों-कर्मचारियों भर्ती के फर्जीवाड़े की भनक लग गई थी।

इसी वजह से सूची पर क्लर्क ने प्रति हस्ताक्षर करने से ही मना कर दिया था। 2003 में पीएससी के नियंत्रक पद पर पदस्थ बीपी कश्यप ने यह बात नोटशीट में लिखी है।

नियंत्रक ने साफ शब्दों में लिखा है कि चयन सूची में क्लर्क ने प्रति हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है। नियमानुसार कोई भी चयन सूची दो या तीन अधिकारी-कर्मचारी के हस्ताक्षर से ही जारी की जाती है। हस्ताक्षर करने का आशय यह रहता है कि उन्होंने सूची पढ़कर सही जानते हुए अपनी सहमति दी है।

सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के बाद यह पता चला है कि उस समय परीक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारी हस्ताक्षर करने के बाद अपनी कलम नहीं फंसाना चाहता था, इस वजह से उसने स्पष्ट तौर पर सूची में हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।


अधिकारियों के दबाव के बावजूद वह अपनी बात पर अड़ा रहा। बाद में अधिकारियों ने उसके हस्ताक्षर न करने का कारण छिपाते हुए इतना ही लिखा कि उसने हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इसके बाद स्वयं नियंत्रक ने हस्ताक्षर किए और नतीजे जारी कर दिए। गौरतलब है कि 2003 में पीएससी के जरिये 167 पदों पर भर्ती की गई है। 
तमाम अधिकारी कर्मचारी अभी सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। भर्ती की सूची जारी होने के बाद यह बात उजागर हुई थी कि कई पात्र उम्मीदवारों का चयन नहीं किया गया था। ईओडब्ल्यू उस कथित फर्जीवाड़े की जांच कर रही है। बहरहाल इस नए खुलासे से इस मामले में बड़ा मोड़ आने के आसार हैं।

दरबारी का बयान लिया

पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष और पूर्व डीजीपी अशोक दरबारी का बयान ईओडब्ल्यू ने ले लिया है। गुरुवार को टीम उनका बयान लेकर लौटी। आला अफसरों ने जांच जारी होने के कारण इस बात का खुलासा नहीं किया है कि उन्होंने क्या बयान दिया है। हालांकि ऐसे संकेत हैं कि श्री दरबारी ने इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कहा है। 

उन्होंने अपने आपको पूरे प्रकरण से अलग बताया है। श्री दरबारी रिटायरमेंट के बाद से दिल्ली में बस गए हैं। पूरे फर्जीवाड़े की जांच में केवल उनका बयान ही बाकी था। आला अफसरों ने संकेत दिए हैं कि अब जल्द ही मामले का चालान पेश होगा। फर्जीवाड़े के इस प्रकरण में कुछ बड़े अधिकारियों के फंसने के संकेत हैं(मोहम्मद निजाम,दैनिक भास्कर,रायपुर,15.7.11)।

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