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24 अगस्त 2011

सरकारी कंपनी में नौकरी के लिए 10 लाख का बांड!

सरकारी कंपनियों (पीएसयू) के वरिष्ठ कर्मियों के लिए अब बीच में नौकरी छोड़ना आसान नहीं होगा। अब उनसे दस लाख रुपये का बांड भरवाने की तैयारी है। इसके अलावा सरकार कुछ अन्य कठोर शर्ते भी लागू करने पर विचार कर रही है। अभी तक पीएसयू के कई बड़े अधिकारी बीच में ही नौकरी छोड़कर मोटी तनख्वाहों की लालच में निजी कंपनियां ज्वाइन करते रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की सिफारिश पर इस मामले में रोकथाम के लिए कई कदमों पर विचार किया जा रहा है। आयोग ने सलाह दी है कि निदेशक और इनसे ऊपर के अधिकारी यदि बेहतर मौके की तलाश में पीएसयू छोड़कर निजी कंपनियों में जाते हैं तो उनसे कम से कम 10 लाख रुपये की वसूली की व्यवस्था हो। हालांकि सार्वजनिक उपक्रम विभाग (डीपीई) ने अभी आयोग की सलाह पर अंतिम फैसला नहीं किया है। सीवीसी के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे कदम इसलिए उठाए जा रहे हैं कि ऐसे मामले सामने आए है, जिसमें आधिकारियों ने सेवानिवृत्ति से पहले या तुरंत बाद सरकारी कंपनी छोड़कर निजी कंपनी में नौकरी कर ली। अधिकारी के मुताबिक, ऐसे वरिष्ठ कर्मी संबंधित कंपनी या विभाग के कामकाज के तरीके जानते हैं, जिनमें वे काम करते हैं। इसलिए उन पर रोक लगाना जरूरी है, अन्यथा इससे भ्रष्टाचार पनप सकता है। फिलहाल सरकारी कर्मचारियों द्वारा नौकरी छोड़कर जाने की दर का कोई तैयार आंकड़ा नहीं है। क्या है मौजूदा व्यवस्था सरकारी दिशानिर्देश के मुताबिक, किसी सार्वजनिक उपक्रम के निदेशक मंडल के सदस्यों पर सेवानिवृत्ति या पीएसयू के दो साल बाद तक उस निजी कंपनी से जुड़ने पर पाबंदी है, जिसके साथ उक्त पीएसयू का कारोबारी संबंध रहा है, लेकिन वे प्रतिस्पर्धी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं। हालांकि, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी इस रुझान को रोकने के लिए ज्यादा सख्त तरीके अपनाने की सलाह देते रहे हैं(दैनिक जागरण,दिल्ली,24.8.11)।

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