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08 अगस्त 2011

भोपाल में आईटी पार्क से जगी 74 हजार नई नौकरियों की उम्मीद

पांच साल बाद राजधानी में एक बार फिर आईटी पार्क के विकसित होने की उम्मीद जगी है। हाल ही में न्यूयॉर्क की एक कंपनी को आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) इंडस्ट्री लगाने के लिए प्रदेश सरकार ने एयरपोर्ट के नजदीक स्थित बड़वई में 25 एकड़ जमीन आवंटित की है। साथ ही यहां प्रदेश सरकार ने एक अन्य प्रस्ताव के तहत इतनी ही जमीन को और विकसित करने की कोशिशें भी शुरू कर दी हैं। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आईटी पार्क के वजूद में आने के बाद यहां करीब 74 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।


आईटी पार्क को मप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉपरेरेशन (एसईडीसी) विकसित करेगा। इसके तहत एसईडीसी ने बड़वई में आईटी पार्क के लिए आरक्षित 212 एकड़ जमीन में से न्यूयॉर्क की अंडरहिल टेक्नोलॉजी कंपनी को 25 एकड़ जमीन आवंटित की है। कंपनी इस जमीन पर 50 से 100 करोड़ रुपए का निवेश कर 15 एकड़ जमीन पर आईटी इंडस्ट्री व 10 एकड़ जमीन सहायक उद्योग और खुद के उपयोग के लिए रखेगी। इसके अलावा एसईडीसी ने आईटी पार्क में ही 25 एकड़ अतिरिक्त जमीन के भी विकास का प्रस्ताव तैयार किया है। एंपावर्ड कमेटी से मंजूरी के बाद एसईडीसी इसके लिए टेंडर जारी करेगी। 

कैसे आएंगी इतनी नौकरियां
आईटी नीति 2006 में प्रावधान है कि यदि कोई कंपनी सरकार से जमीन चाहती है, तो उसे प्रति एकड़ 350 लोगों को रोजगार देना होगा। इस तरह कंपनियों को राजधानी में कुल 212 एकड़ जमीन पर 74,200 रोजगार सृजित करने होंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें से करीब 60 फीसदी यानी 44,520 रोजगार अकेले आईटी प्रोफेशनल्स के लिए होंगे। 

इसे पीपीपी मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा, जिसमें संबंधित कंपनी 3 लाख वर्ग फीट क्षेत्र पर आईटी पार्क विकसित करेगी। इस तरह अगले तीन साल में न्यूयॉर्क की कंपनी को दी गई 25 एकड़ जमीन को मिलाकर कुल 50 एकड़ जमीन पर आईटी पार्क डेवलप होगा, जबकि अगले पांच सालों में आईटी पार्क को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है।

अब तक ये हुआ 
वर्ष 2006 में पार्क के लिए जमीन आरक्षित की गई। इसमें से 50 एकड़ जमीन पर अब तक सिर्फ जेनपैक्ट ने ही आईटी इंडस्ट्री लगाने की पहल की। सरकार ने कंपनी को जमीन भी आवंटित कर दी थी, लेकिन कंपनी ने ऐन मौके पर यहां निवेश से इनकार कर दिया। इसी तरह तीन साल पहले यूनिटेक ने 60 करोड़ रुपए से पार्क की पूरी जमीन को विकसित करने के लिए सरकार से करार किया था। 

इसके लिए 5 करोड़ रुपए बतौर बैंक गारंटी जमा किए गए थे, लेकिन कंपनी बगैर कोई विकास कार्य किए वापस चली गई। जबकि आम्रपाली आईटी कंपनी, एग्रो वेब ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर हस्ताक्षर करने के बाद से आगे कोई कार्रवाई ही नहीं की है। यही स्थिति इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की भी है।

सामने होंगी ये चुनौतियां 
- नौकरशाही की कार्यप्रणाली से त्रस्त होकर कंपनियां प्रोजेक्ट से अपना हाथ खींच सकती हैं। 
- एक एकड़ में 350 लोगों को रोजगार देने की शर्त से छोटी कंपनियां हिचकिचा सकती हैं।
- मप्र में स्किल्ड मैन पॉवर की कमी।
- राजधानी में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास न होना(कुलदीप सिंगोरिया,दैनिक भास्कर,भोपाल,8.8.11)।

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