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03 अगस्त 2011

बिहारःकुलपति नियुक्ति पर राज्यपाल-सरकार में ठनी

राज्य सरकार से सलाह लिए बगैर राज्यपाल द्वारा कुलपतियों की नियुक्ति के मामले ने तूल पक़ड़ लिया हैज। सरकार ने इन नियुक्तियों पर आपत्ति जताते हुए राजभवन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । दिलचस्प है कि राज्यपाल की अधिसूचना में कहा गया है कि नियुक्तियां सरकार से मशविरे के बाद की गई है लेकिन सभी छह नामों से एक भी उस सूची से नहीं हैं जो राज्य सरकार ने राज्यपाल को सौंपी थी ।

राज्यपाल पहले से विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को रोककर रखे हुए हैं । पहले भी राज्य सरकार से परामर्श किए बगैर कार्यकारी और स्थाई कुलपतियों की नियुक्ति का मामला गरमाया था । तब अदालत ने दो कुलपतियों की नियुक्ति रद कर दी थी । टकराव को टालने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले महीने राज्यपाल से मुलाकात में सा़ढ़े तीन घंटे तक चर्चा की थी लेकिन उस मुलाकात का कोई असर नहीं दिखा । इससे पहले राज्यपाल शिक्षा मंत्री के मिलने का समय भी नहीं देते रहे ।

मानव संसाधन मंत्री पी के शाही ने कहा कि नियुक्तियां अवैध हैं। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इन नियुक्तियों पर गहरी आपत्ति जताई है । उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और प्रतिकुलपतियों की बहाली में नियमों की अनदेखी हुई है । कुलपतियों और प्रतिकुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल ने राज्य सरकार से किसी स्तर पर सलाह नहीं ली । मुख्यमंत्री से भी सलाह लेने की जुर्रत नहीं महसूस की गई। कुलपतियों की बहाली में राजभवन ने उस पैनल को भी दरकिनार कर दिया जिसमें राज्य सरकार ने १२ नाम सुझाए थे। उन्होंने नियमों का उल्लेख करते हुए कहा कि बिहार विश्वविद्यालय एक्ट १९७६ की धारा दस (२) के तहत कुलपतियों की नियुक्ति राज्य सरकार की सहमति जरूरी है लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उसी तरह बिहार विश्वविद्यालय एक्ट १९७६ की धारा १२(ए) प्रतिकुलपतियों की नियुक्ति में भी राज्य सरकार से परामर्श लेने का प्रावधान है लेकिन नियमों को ताक पर रख दिया गया । शिक्षक और कर्मचारियों के वेतन पर राज्य सरकार सालाना १७ सौ करो़ड़ ヒपए खर्च कर रही है ।इसके वाबजूद राज्य सरकार से परामर्श लेना मुनासिब नहीं समझा गया । राज्यपाल ने सोमवार को राज्य के छह विवि में कुलपति और चार में प्रतिकुलपतियों की नियुक्ति की थी । मानव संसाधन मंत्री शाही का कहना है कि कुलपतियों की नियुक्ति में हाईकोर्ट के आदेश को भी ध्यान में नहीं रखा गया। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर जो नीतियां राज्य सरकार के सलाह के बगैर बनेंगी वह वैद्य नहीं होंगी । इससे पहले मगध और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्तियों को हाईकोर्ट ने सिर्फ इसलिए रद कर दिया था क्योंकि उन नियुक्तियों में राज्य सरकार से सलाह नहीं ली गई थी(राघवेन्द्र नारायण मिश्र,नई दुनिया,दिल्ली,3.8.11) ।

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