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01 अगस्त 2011

इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं से आजिज आ गए हैं लोग

इंजीनियरिंग कॉलजों में दाखिले के लिए हर साल अलग-अलग होने वाली तमाम प्रवेश परीक्षाओं के मौजूदा तौर-तरीकों से सभी आजिज आ चुके हैं। लिहाजा 85 प्रतिशत लोगों ने इसमें सुधार की जबरदस्त पैरवी की है। जबकि तमाम लोगों ने छात्रों की काबिलियत आंकने के मद्देनजर दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर एक ही परीक्षा कराने पर जोर दिया है। इंजीनियरिंग व विज्ञान की उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा को लेकर आम लोगों के इस नजरिए का खुलासा केंद्र सरकार के पोर्टल व फेसबुक पर मांगी गई उनकी राय से हुआ है। मालूम हो कि सरकार ने राष्ट्रीय परीक्षा योजना की बाबत केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव टी. रामासामी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। बाद में उसकी सिफारिशों पर आम लोगों की राय मांगी गयी थी, जिस पर 59 प्रतिशत लोगों ने बहु प्रवेश परीक्षा में बड़े सुधार की जरूरत पर बल दिया है। जबकि 26 प्रतिशत लोगों का सीधा मानना है कि इंजीनियरिंग व विज्ञान की उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ही प्रवेश परीक्षा होनी चाहिए। अभिभावकों, छात्रों व दूसरे पक्षकारों से आए सुझावों में एक बड़े हिस्से ने प्रवेश परीक्षा के साथ ही स्कूल बोर्ड परीक्षाओं के अंकों भी महत्व दिए जाने पर जोर दिया है। हालांकि कुछ ने इसे सही नहीं मानाहै। सरकारी पोर्टल पर अपने सुझाव देने वाले कुल दो हजार से अधिक लोगों में 59 प्रतिशत छात्र व पांच प्रतिशत अभिभावक हैं। छात्रों में भी 82 प्रतिशत इंजीनियरिंग और नौ प्रतिशत विज्ञान की पढ़ाई करने वाले हैं। सुझाव देने वालों में 98 प्रतिशत भारतीय हैं। उनमें भी सबसे ज्यादा 24 प्रतिशत आंध्र प्रदेश, 23 प्रतिशत कर्नाटक और सिर्फ सात प्रतिशत लोग दिल्ली से हैं। गौरतलब है कि सरकार इंजीनियरिंग व विज्ञान की उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक ही प्रवेश परीक्षा की हिमायत पिछले साल से ही कर रही है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल इस पर ज्यादा जोर देते रहे हैं। पत्रकारों से बातचीत में बीते दिनों उन्होंने कहा,इंजीनियरिंग व विज्ञान में दाखिले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर यदि एक ही प्रवेश परीक्षा का प्रावधान कराने में सफल हुआ तो यह एक बड़ी उपलब्धि होगी(दैनिक जागरण,दिल्ली,1.8.11)।

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