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14 अगस्त 2011

यूपीःशिक्षक कल्याण कोष पर लगी शासन की नजर


प्रदेश के राज्य विविद्यालय व महाविद्यालयों में शिक्षक कल्याण कोष (टीडब्ल्यूएफ) को लेकर नेताओं व संगठनों में विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। राज्य सरकार शिक्षकों के लिए मेडीक्लेम योजना को अमल में लाने में जुटी है। दूसरी ओर शिक्षक संघों ने शासन पर शिक्षक कल्याण कोष पर नजर गड़ाने का आरोप लगा दिया है और कहा कि शिक्षकों को जब राज्य कर्मचारी का दर्जा देने पर सरकार राजी है, तो वह करोड़ों के शिक्षक कल्याण कोष का ब्योरा क्यों जुटाने में लगी है। विभिन्न विविद्यालयों में शिक्षक कल्याण कोष में जमा रकम करीब सात करोड़ के आसपास पहुंच गयी है। इनमें सर्वाधिक तीन करोड़ के आसपास धनराशि चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के पास है और इसकी आधी करीब डेढ़ करोड़ कानपुर विविद्यालय के शिक्षक कल्याण कोष में है। सबसे कम करीब दस लाख रुपये लुआक्टा और इसी के करीब लूटा के शिक्षक कल्याण कोष में धनराशि जमा है और फिक्स डिपाजिट में है। उल्लेखनीय है कि शासन में विविद्यालय के शिक्षकों को मेडीक्लेम योजना देने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने एक जुलाई को सभी विविद्यालय के कुलसचिवों पत्र जारी कर शिक्षक कल्याण कोष में जमा धनराशि और उसके इस्तेमाल का ब्योरा मांगा था। शासन के इस पत्र के बाद शिक्षक संघों में उबाल आ गया और 24 जुलाई को फुफुक्टा ने शिक्षक कल्याण कोष में किसी भी तरह के शासन के हस्तक्षेप पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। फुफुक्टा के सुर में लखनऊ विविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने भी सुर मिलाया और कहा कि सरकार शिक्षकों को मेडीक्लेम देने के लिए शिक्षक कल्याण कोष को नहीं ले सकती है। राज्य के दूसरे कर्मचारियों को बीमा योजनाओं का लाभ दिया जा सकता है, तो फिर शिक्षकों के साथ ‘गिव एण्ड टेक’ का रवैया क्यों अपनाया जा रहा है। लुआक्टा के अध्यक्ष डा. मनोज कुमार पाण्डेय का कहना है कि शासन के इसी छलावे में एक बार शिक्षक आ चुके हैं और तीन वर्ष तक तनख्याह से हर महीने 22 रुपये के हिसाब से कटौती कराने के बाद भी उन्हें स्वास्थ्य बीमा योजना का कोई लाभ नहीं मिला। अब शिक्षक दोबारा सरकार के झांसे में नहीं आने वाले हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अपनी ही धनराशि से मेडीक्लेम लेना है तो सरकार के हाथों में धनराशि देने के बजाय उसे शिक्षक संगठन अपने स्तर से अमल में लाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि लुआक्टा अधिकतम दस हजार रुपये की धनराशि शिक्षक कल्याण कोष से मदद देता है, जो नान रिफण्डेबल है। 
विविद्यालय व महाविद्यालयों के शिक्षकों के मूल्यांकन कार्य करने, प्रेक्टिल कराने और पेपर सेट करने में मिलने वाले मानदेय में निर्धारित प्रतिशत में कुछ धनराशि की कटौती की जाती है। यह धनराशि शिक्षक कल्याण कोष में जमा होती है। राज्य के विविद्यालय में पारिश्रमिक से शिक्षक कल्याण कोष के नाम कटौती की धनराशि लविवि में चार प्रतिशत, कानपुर विवि में पांच और मेरठ विवि में छह फीसद है। इन सभी विविद्यालयों को मिलाकर करीब सात करोड़ रुपये कल्याण कोष में जमा हैं, इनमें काफी धनराशि फिक्स्ड डिपाजिट के रूप में जमा है(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,14.8.11)।

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