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14 अगस्त 2011

भारतीयों को अमेरिकी शिक्षण संस्थानों में आसानी से दाखिला

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह में हुए समझौतों का अब असर दिखने लगा है। दोनों देशों ने बेहतर भविष्य गढ़ने और एक-दूसरे को ठीक तरह से समझने के लिए शिक्षा के द्वार खोलने शुरू कर दिए हैं। पार्टनरशिप प्रोग्राम के तहत अमेरिका ने अपने 11 प्रतिष्ठित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का चयन किया है। इनमें अब भारतीय छात्र आसानी से दाखिला ले सकेंगे। चयनित शिक्षण संस्थानों में फोर्ट हेज स्टेट यूनिवर्सिटी, जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी, नार्दन इलिनोइस यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क सिटी यूनिवर्सिटी से संबद्ध क्वींस कॉलेज, रोलिंस कॉलेज रटगर्स, न्यूजर्सी स्टेट यूनिवर्सिटी, सुफोल्क यूनिवर्सिटी, थॉमस कॉलेज, केंटकी यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ ओरेगन और यूनिवर्सिटी ऑफ मॉनटाना शामिल हैं। इन शिक्षण संस्थाओं को इस जरूरी कार्यक्रम के लिए पूरी तरह जवाबदेही निभाने को कहा गया है। इंटरनेशनल एजुकेशन (आइआइइ) के अध्यक्ष एलन ई गुडमैन ने कहा कि भारत-अमेरिका के बीच ज्ञान साझा करने की यह सोच एक साल पहले तब सामने आई थी, जब प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अमेरिका दौरे पर आए थे। इस कार्यक्रम की सफलता के लिए शिक्षण संस्थानों पर एक करोड़ डॉलर खर्च करने की योजना है। इसके तहत उच्च शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। गुडमैन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक भागीदारी वाले इस कदम से दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत होंगे। भविष्य में युवा पीढ़ी एक दूसरे को बेहतर तरह से समझ पाएगी। यूनिवर्सिटी ऑफ मॉनटाना व शिक्षा संबंधी मामलों के उपाध्यक्ष पेरी ब्राउन ने कहा, भारत महत्वपूर्ण देश है। ऐसे में शिक्षा क्षेत्र में उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। इसी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय विकास कार्यक्रम के अधिकारी पीटर बेकर ने कहा, भारत शैक्षणिक क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। यहां के छात्र बड़ी संख्या में अमेरिका पढ़ाई के लिए आते हैं(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,14.8.11 में वाशिंगटन की रिपोर्ट)।

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