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21 अगस्त 2011

ग्वालियरःतंग गलियों से बाहर होंगे स्कूल

नए मास्टर प्लान के प्रारूप में ग्वालियर को एजुकेशन हब बनाने पर जोर दिया गया है। तंग गलियों में संचालित होने वाले स्कूल-कॉलेजों को शहर से बाहर ले जाया जाएगा। साथ ही, उन शिक्षण संस्थाओं को भी शिफ्ट किया जाएगा जो रहवासी क्षेत्र में स्थित हैं।

नए मास्टर प्लान में निवेश क्षेत्र में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा का विकास करने की दिशा में काफी ध्यान दिया गया है। राष्ट्रीय एवं विश्वव्यापी आर्थिक परिदृश्य के मद्देनजर शैक्षणिक अपेक्षाएं तेजी से बदल रही हैं, इसलिए प्रोफेशनल एवं वोकेशनल शिक्षा के अवसर बढ़ाने का प्रस्ताव है।

एकीकृत स्कूलों को बढ़ावा देने के साथ ही पूर्व प्राथमिक स्कूलों को उच्चतर माध्यमिक स्तर तक किया जाएगा। नर्सरी, प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के लिए अलग से भूमि के आवंटन पर रोक लगेगी।

मुरैना रोड पर पुरानी छावनी से रायरू तक, भिंड रोड पर महाराजपुरा क्षेत्र को, बड़ागांव, शिवपुरी लिंक रोड चंदौहा खुर्द, झांसी रोड तुरारी क्षेत्र पर उन शैक्षणिक संस्थानों को भूमि का आवंटन किया जाएगा जो शहर की गलियों में स्थित हैं।


मास्टर प्लान में ऐसे शिक्षण संस्थानों को भी शिफ्ट करने का प्लान है जो रहवासी क्षेत्रों में चल रहे हैं। इन संस्थानों के कारण ट्रैफिक समस्या उत्पन्न होती है। यदि रहवासी क्षेत्र में 80 फीट चौड़ी सड़क है तो ऐसे संस्थानों के संचालन की अनुमति दी जा सकती है।
नए मास्टर प्लान में नर्सरी स्कूलों को प्राइमरी, मिडिल, हायर सेकंडरी स्कूल के भाग के रूप में संचालित करने की बात कही गई है लेकिन ऐसे नर्सरी स्कूलों को तब्दील करने से पहले ये देखना होगा कि छात्रों के खेलने-कूदने के लिए उचित व्यवस्था है या नहीं। साथ ही, नर्सरी स्तर के बच्चों की सुविधाएं क्षेत्रीय आबादी के अनुपात में होनी चाहिए। 
डॉ. आलोक शर्मा, प्रोफेसर, एमआईटीएस

शहर के अंदर बहुत से ऐसे पुराने संस्थान हैं तो यूजीसी एवं एआईसीटीई के मानकों को पूरा नहीं करते, इसके बावजूद संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे संस्थान लोगों की जरूरतें पूरी कर रहे हैं। इसलिए ऐसे संस्थानों को नए मास्टर प्लान में अतिरिक्त भूमि आवंटित की जानी चाहिए ताकि वे कैंपस का विस्तार कर सकें।
डॉ. संजीव जैन, डायरेक्टर, एमआईटीएस(दैनिक भास्कर,ग्वालियर,21.8.11)

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