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12 अगस्त 2011

आईआईटी दिल्ली में हो सकेगा हर प्रयोग

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली में अब हर तरह के प्रयोग संभव हो सकेंगे। जल्द ही आईआईटी में एक बहुउपयोगी प्रयोगशाला तैयार हो जाएगी। इस प्रयोगशाला में आईआईटी के बाहर के शोधकर्ता भी प्रयोग कर सकेंगे।

आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि एक नई तरह की प्रयोगशाला बनाई जाएगी, जिसमें हर तरह के प्रायोगिक उपकरण मौजूद होंगे। इस प्रयोगशाला का प्रयोग बाहर के लोगों के लिए भी होगा। उन्होंने कहा कि कई विषयों के प्रायोगिक उपकरण ऐसे होते हैं जो कि हर संस्थान या कॉलेज में उपलब्ध नहीं होते हैं। ऐसे में इस तरह की सुविधा शोध को बढ़ावा देने का काम करेगी। इस प्रयोगशाला को सेंट्रल रिसर्च फैसलिटी नाम दिया गया है।

उन्होंने बताया कि इस प्रयोगशाला में कई इंटरडिसिप्लनरी विषयों के साथ-साथ इंवायरनमेंट साइंस, बायोलॉजिकल साइंस, एटमॉस्फिरक साइंस आदि के नवीनतम उपकरण उपलब्ध होंगे। ज्ञात हो कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी ऐसी ही एक प्रयोगशाला एआईआरएफ (एडवांस इंस्ट्रुमेंटेशन रिसर्च फैसलिटी) नाम से बनी हुई है। प्रो. प्रसाद ने बताया कि आईआईटी में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इस बार आईआईटी को शोध के लिए अधिक फंड भी मिला है।


यह फंड 120-130 करोड़ रुपए का है। पिछले वर्ष ये फंड सौ करोड़ रुपए से कम था। उन्होंने बताया कि पीएचडी की संख्या में भी आईआईटी में इजाफा हुआ है। इस बार करीब 1400 पीएचडी का नामांकन आईआईटी में हुआ है।

आईआईटी के नए केंद्र
आईआईटी में नैनो फेब्रिकेशन और नैनो डिवाइस का एक केंद्र स्थापित होने जा रहा है। कि इस तकनीक पर काम करने वाला देश का तीसरा केंद्र होगा। आईआईटी मुंबई और आईआईएससी, बेंगलुरू सिलिकॉन डिवाइस पर काम करते हैं पर इस केंद्र में नॉन-सिलिकॉन डिवाइस पर काम होगा। इस केंद्र में नैनोटेक्नोलॉजी की सभी सुविधाएं जैसे कि नैनो डिवाइस का फेब्रिकेशन, लीथोग्राफी, इलेक्ट्रॉन, बीम आदि की जानकारी उपलब्ध होगी। इस केंद्र को बनाने का सबसे बड़ा मकसद ऐसी नैनो डिवाइस का निर्माण करना है जो समाज के लिए महत्वपूर्ण हो। इस केंद्र में मुख्यत: नैनो सेंसर, बायोलॉजिकल सेंसर, फ्यूल सेल आदि पर ध्यान दिया जाएगा(हिंदुस्तान,दिल्ली,11.8.11)

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