मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

19 अगस्त 2011

इंदौरःएमसीआई के रुख ने बढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज की धड़कन

एमबीबीएस की मान्यता मिलने के बाद राहत की सांस ले रहे एमजीएम मेडिकल कॉलेज की चिंता फिर बढ़ गई है, क्योंकि मेडिकल कॉलेजों की मान्यता को लेकर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) सख्त हो गई है। दोबारा उन कॉलेजों की फाइल खोली जा रही है, जिन्हें पिछले साल मान्यता दी गई थी।

गुरुवार सुबह टेलीफोन और दोपहर में फैक्स के जरिए कॉलेज प्रशासन को सूचना मिली कि एमसीआई की टीम शुक्रवार को दो दिनी दौरे पर आ रही है। तुरंत ही विभागाध्यक्षों से फॉर्मेट में जानकारी मांगी गई। हालांकि आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एमसीआई का दौरा टल गया है।

निरीक्षण की सूचना फोन पर मिलते ही इस बारे में भोपाल में आला अधिकारियों को बताया गया। डॉक्टर यह सोचकर हैरान थे कि एमबीबीएस की मान्यता के लिए एमसीआई की टीम ने मार्च 2010 में ही निरीक्षण किया था। फिर सालभर में टीम दोबारा क्यों आ रही है?

बहरहाल, तैयारी के लिए विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाई गई। कॉलेज प्रशासन को भी डॉक्टरों के खाली पदों की याद आ गई। महीनों से अटकी डीपीसी करने की भी सूझी। बैठक में डॉक्टरों से फॉर्मेट में इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ व अन्य जानकारी मांगी गई।

हालांकि डॉक्टरों ने बैठक में ही कहा कि एक दिन में इतनी जानकारी जुटाना संभव नहीं है। उधर, दोपहर में कॉलेज प्रशासन ने दिल्ली फैक्स कर निरीक्षण की तैयारी के लिए समय मांगा। कॉलेज के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एमजीएम मेडिकल कॉलेज को भी समय देते हुए शुक्रवार का दौरा स्थगित किया जा रहा है।


उधर, एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव ने बताया निरीक्षण के दिन के बारे में नहीं कहा जा सकता लेकिन एमसीआई के दौरे को लेकर अस्पताल में तैयारी की जा रही है। 

इसलिए आ रही है टीम
बताया जा रहा है कि निजी कॉलेजों की मान्यता को लेकर तत्कालीन एमसीआई अध्यक्ष केतन देसाई को पद से हटाया गया था। तब शिकायतें मिलने पर कई कॉलेजों की फाइल दोबारा खोली गई थी। नई गवर्निग बॉडी का कहना है कि संसद में यह मुद्दा उठा। इसलिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों की दोबारा जांच हो रही है। 

डीपीसी के लिए लिखी चिट्ठी
एमसीआई के निरीक्षण का खतरा टल तो गया है, लेकिन कॉलेज के अधिकारी सतर्क हो गए हैं। कॉलेज प्रशासन ने तत्काल प्रमुख सचिव को विभागीय पदोन्नति करने संबंधी पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि रेडियोलॉजी, फोरेंसिक, सर्जरी सहित कई विभाग हैं जहां नए नियमों के तहत डीपीसी की जा सकती है। खाली पदों के लिए वॉक इन इंटरव्यू की अनुमति भी मांगी है(दैनिक भास्कर,इन्दौर,19.8.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।