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01 अगस्त 2011

इलाहाबाद विश्वविद्यालयःअधर में लटका पे फिक्सेसन

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कई टीचरों का पे फिक्सेसन का मामला सवा साल से अधर में लटका है। इससे उन्हें एक इंक्रीमेंट और चार से पांच हजार रुपये प्रति माह का नुकसान उठाना पड़ रहा है। खास बात यह है कि एक्जक्यूटिव काउंसिल में इस मसले पर सहमति बनने के बावजूद उन्हें अपने हक से वंचित होना पड़ रहा है। इस मुद्दे पर टीचरों का एक प्रतिनिधिमंडल दो दिन पहले वित्त नियंत्रक पीके सिंह से मिला, फिर भी मामले का निराकरण नहीं हो सका है। इविवि के 37 टीचरों का पे फिक्सेसन वर्ष 2003 में होना था, लेकिन अंदरूनी गुणा-भाग के कारण उन्हें इसका लाभ नहीं मिल सका। इसके लिए चयन समिति गठित होने की बात आई। तत्कालीन वीसी प्रो.जीके मेहता ने कमेटी गठित नहीं की। इसके बाद 2004 में वीसी प्रो.जनक पांडेय के कार्यकाल में चयन समिति गठित तो हुई, लेकिन अध्यापकों के हित में निर्णय नहीं हुआ। मामला गवर्नर तक पहुंचा, तो उन्होंने पाया कि इन अध्यापकों के साथ अन्याय हुआ। उन्होंने नैसर्गिक आधार पर इस मसले के निराकरण के लिए इविवि प्रशासन को लिखा। फलस्वरुप 17 अप्रैल, 2010 में एक्जक्यूटिव काउंसिल में यह मामला सर्वसम्मति से पारित हो गया। रजिस्ट्रार ने भी इस संबंध में चिट्ठी जारी कर दी है फिर भी पे फिक्सेसन का मसला सवा साल से अधर में लटका हुआ है। इससे इन अध्यापकों को एक इंक्रीमेंट का नुकसान हुआ है। साथ ही हर महीने चार से पांच हजार रुपये का घाटा हो रहा है। वित्त नियंत्रक पीके सिंह का कहना है कि यह मामला हमारे संज्ञान में दो दिन पहले आया। इसके लिए डिप्टी रजिस्ट्रार, वित्त को जांच के लिए कहा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही मामले के लटके होने की जानकारी हो पाएगी(दैनिक जागरण,इलाहाबाद,1.8.11)।

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