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25 अगस्त 2011

यूपीःमदरसा बोर्ड बदहाली का शिकार

प्रदेश में लोगों को अरबी की शिक्षा दिलाने में स्थापित मदरसा बोर्ड इन दिनों अव्यवस्था का शिकार है। हालत यह है कि बोर्ड के चेयरमैन तक को मदरसों में चलायी जाने वाली योजनाओं की जानकारी नहीं हैं। एक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में उक्त बोर्ड से मान्यता लेकर चलने वाले मदरसों की संख्या पांच हजार से भी अधिक है। सरकार ने इसके संचालन के लिए अलग से रजिस्ट्रार और तमाम कर्मचारियों को नियुक्त कर रखा है। मगर मदरसा बोर्ड के आधीन होने वाले कार्य एक जगह से संचालित नहीं हो रहे हैं। मदरसे की मान्यता से लेकर सभी कार्यों को एक जगह से संचालित न होने से किसी भी जानकारी के लिए चेयरमैन तक को स्टाफ का मुंह ताकना पड़ता है। हाल ही में राष्ट्रीय सहारा प्रतिनिधि द्वारा बोर्ड चेयरमैन अनवर जालालपुरी से मदरसों में आधुनिकीकरण को लेकर किस सरकार से कितना धन मिलता है, कहां-कहां पर यह योजनाएं चलायी जा रही और उनकी प्रगति क्या हैं आदि के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की गयी तो उनका कहना था कि अभी उन्हें भी तमाम बातों की जानकारी नहीं है। उन्होंने एक स्टाफ से इसे उपलब्ध कराने को कहा। मगर इस कर्मचारी ने उन्हें बताया कि काम मदरसे ही जुड़ा है मगर सम्बन्धित स्टाफ बोर्ड के आधीन नहीं है। इसपर चेयरमैन भी अवाक रह गये। बहरहाल उन्होंने किसी तरह से बात को टालकर इसे बाद में उपलब्ध कराने को कहा है। बोर्ड की बदहाली का यह आलम है कि यहां बहुत कम स्टाफ ऐसा है जो कि अरबी या उर्दू की मामूली जानकारी भी रखता हो। मदरसों के बारे में अगर बोर्ड में कोई भी मौलवी उर्दू में पत्र आदि भेज दे तो उसे पढ़ने तक के लाले रहते हैं। कोई जानकार स्टाफ उपलब्ध रहा तो बात बन गयी। नहीं तो एक बड़ी समस्या बन जाते हैं ऐसे पत्र। उर्दू की बेहतर जानकारी न होने के वजह से अक्सर मदरसों की परीक्षा के बाद सनद व मार्कशीट तक पर नाम का सही अंकित नहीं हो पाते। ‘क्यू’ से नाम शुरू होना है तो उसे ‘के’ से लिख दिया जाता है। हैरत की बात तो यह है कि खुद चेयरमैन भी इसे समझते हैं लेकिन अभी वह भी कुछ बदलाव कर पाने में अपने को असहाय महसूस करते हैं। इस बारे में उनका कहना है कि वैसे भी सब कुछ सरकार के स्तर से होना है। पद को संभाले उन्हें लगभग आठ महीने हो गये और अभी तक वह बोर्ड को राह पर लाने के लिए एक बैंक भी ठीक तरह से नहीं बुला पाये। चेयरमैन के मुताबिक पन्द्रह सितम्बर को बोर्ड की एक बैठक बुलायी जाएगी। इसमें मदरसा बोर्ड के कार्यों में पारदर्शिता लाने एवं स्टाफ में उर्दू व अरबी के जानकारों के लोगों को जोड़ने आदि मसलों पर मुख्य रूप से चर्चा की जानी प्रस्तावित है। उनका कहना है कि इसके अलावा सभी कार्यों को एक जगह से संचालति कराने व अन्य शिकायतों को भी दूर कराने के प्रयास किये जाएंगे(अफरोज रिजवी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,25.8.11)।

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