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22 सितंबर 2011

बिलासपुर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में मुक्तिबोध के नाम शोधपीठ

सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि गजानन माधव मुक्तिबोध के नाम पर शोधपीठ की स्थापना की जाएगी। यह निर्णय बुधवार को विद्यापरिषद की बैठक में लिया गया। सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शोध को बढ़ावा देने के लिए यह पहला शोधपीठ होगा।

गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में हिंदी व समाज विज्ञान के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए शोधपीठ की स्थापना की जा रही है। विद्यापरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया। प्रसिद्ध कवि गजानन माधव मुक्तिबोध के नाम पर स्थापित होने वाले इस शोधपीठ के लिए देश की प्रख्यात शख्सियत को आचार्य पद पर नियुक्त किया जाएगा। विशेष क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए देखरेख का जिम्मा आचार्य का ही होगा। इस पद पर नियुक्ति या मनोनयन कुलपति द्वारा किया जाएगा। आचार्य को हर माह एक लाख रुपए और सारी सुविधाएं दी जाएंगी। आचार्य का कार्यकाल दो वर्ष का होगा।

जिसे आगे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा। लंबे समय से यूनिवर्सिटी में शोधपीठ स्थापना की मांग हो रही थी। सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने के बाद यह मांग तेज हो गई थी। हालांकि अपग्रेड होने के बाद शोध के क्षेत्र में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने तेजी से कदम बढ़ाए हैं। गजानन माधव मुक्तिबोध हिंदी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे। कहानीकार और समीक्षक के रूप में भी पहचान रखने वाले श्री मुक्तिबोध को प्रगतिशील कविता और नई कविता के बीच सेतु माना जाता है। 1942 के आसपास वे वामपंथी विचारधारा की ओर झुके। मृत्यु के पहले श्रीकांत वर्मा ने उनकी साहित्यिक डायरी प्रकाशित की थी, जिसका दूसरा संस्करण भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हुआ(दैनिक भास्कर,बिलासपुर,22.9.11)।

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