सरकार ने आज कहा कि मापदंड पूरा नहीं करने वाले देश के 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों का दर्जा समाप्त किये जाने की स्थिति छात्रों के हितों का पूरा ध्यान रखा जायेगा, हालांकि इस विषय में अंतिम निर्णय न्यायालय को करना है।
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि साल 2006 में विप्लव शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सरकार को देश के सभी डीम्ड विश्वविद्यालय की स्थिति की समीक्षा का निर्देश दिया था।
उन्होंने कहा कि इस बारे में प्रो टंडन के नेतृत्व में समीक्षा समिति का गठन किया गया और सभी डीम्ड विश्वविद्यालयों को तीन श्रेणी में बांटा गया। समिति ने अपनी जांच में पाया कि 38 डीम्ड विश्वविद्यालय उत्कृष्ठ कोटि के हैं, जबकि 44 डीम्ड विश्वविद्यालयों में सुधार की गुंजाइश है और इन्हें उपयुक्त सुधार के लिए तीन वर्ष का समय देने की बात कही गई। जबकि यह पाया गया कि 44 डीम्ड विश्वविद्यालय मापदंड पूरा नहीं करते हैं।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एन एस बी चित्तन, मानिक टैगोर के प्रश्न के उत्तर सिब्बल ने यह बात कही। सिब्बल ने कहा कि यह रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय में पेश कर दी गई। उच्चतम न्यायालय ने इस रिपोर्ट पर ध्यान देने के बाद कहा कि इनका दर्जा समाप्त करने से पूर्व इनसे स्पष्टीकरण मांगा जाए। इस पर हमने अधिकारियों की समिति गठित की और इन संस्थाओं को नोटिस भेजा(लाईव हिंदुस्तान डॉटकॉम से साभार)।
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