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16 दिसंबर 2011

काफी रोजगार मिलते हैं एसिस्टेंट ग्रेड एग्जाम्स से

केंद्र सरकार से जुड़े विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, स्वायत्तशासी संस्थाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हर साल एसिस्टेंट ग्रेड के पदों पर काफी बड़ी संख्या में युवाओं की भर्तियां की जाती हैं। कमोबेश इसी प्रकार की नियुक्तियां अर्ध सैन्य बलों और पुलिस संगठनों में भी होती हैं। यह संख्या प्रति वर्ष हजारों में होती है लेकिन यह निश्चित नहीं होती है। इसकी चयन प्रक्रिया में २० से २५ वर्ष तक के ग्रेजुएट युवा शामिल हो सकते हैं। प्रमुख रूप से स्टाफ सलेक्शन कमीशन या कर्मचारी चयन आयोग द्वारा इस प्रकार की चयन परीक्षा का आयोजन केंद्र सरकार के अधिकांश मंत्रालयों और विभागों के लिए उपयुक्त प्रत्याशियों के चयन के लिए किया जाता है पर कई संस्थाएं और निकाय स्वयं भी ऐसी परीक्षाएं संचालित करते हैं। आइए बात करते हैं इस परीक्षा के स्वरूप और इसमें सफल होने संबंधित कुछ कारगर टिप्स की।

कर्मचारी चयन आयोग द्वारा प्रति वर्ष एसिस्टेंट ग्रेड एग्जाम का संचालन किया जाता है। इसके जरिए रेलवे बोर्ड सेक्रेटेरिएट सर्विस, सेंट्रल सेक्रेटेरिएट सर्विस, आर्म्ड फोर्सेस हेडक्वार्टर तथा भारत सरकार के अन्य विभागों में चयनित प्रत्याशियों को नियुक्त किया जाता है। परीक्षा के दो चरण प्रीलियम और मेन एग्जाम के तौर पर होते हैं। पहले चरण में ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्नों पर आधारित तीन घंटे की परीक्षा होती है इसमें चार विषयों की परीक्षा ली जाती है।

ये विषय हैं :- रीजनिंग एबिलिटी, जनरल अवेयरनेस अर्थमेटिक और लैंग्वेज (हिंदी या अंग्रेजी)। इनके ७५-७५ प्रश्न होते हैं। कुल ३०० अंकों के ये समस्त प्रश्नपत्र होते हैं। इसमें सफल उम्मीदवारों को ही मेन एग्जाम में शामिल होने की अनुमति मिल पाती है। प्रत्येक विषय के लिए अलग से टेस्ट पेपर दिया जाता है। प्रश्न अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही भाषाओं में होते हैं। लैंग्वेज प्रश्न पत्र सिर्फ पास करने की जरूरत होती है। इसके अंक मेरिट बनाते समय जोड़े नहीं किए जाते हैं। बहुविकल्पी प्रश्न होते हैं जिनमें से एक उत्तर पर निशान लगाना होता है।

रीजनिंग एबिलिटी के प्रश्न पत्र में सामान्य ज्ञान पर आधारित प्रश्न होते हैं। इसके लिए प्रैक्टिस गाइड्स, कंपीटिशन पर आधारित पत्रिकाओं तथा नेट पर उपलब्ध सामग्री का लाभ उठाया जा सकता है। जनरल अवेयरनेस के खंड में इतिहास, भूगोल, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मामलों, भारतीय अर्थव्यवस्था तथा सामान्य विज्ञान पर प्रश्न पूछे जाते हैं। जनरल नॉलेज की कोई भी नामी पुस्तक इसमें उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

अर्थमेटिक्स के पेपर में बुनियादी गणित से संबंधित प्रश्नों पर ज्यादा जोर होता है। प्रमुख टॉपिक्स में अंकगणित, नंबर्स, स्टैटिस्टिक्स, ग्राफ तथा टाइम-डिस्टेंस आदि का नाम लिया जा सकता है। इस खंड में अपेक्षित सफलता पाने के लिए प्रैक्टिस ही एकमात्र विकल्प है।

भाषा (हिंदी/अंग्रेजी) के प्रश्न पत्र का स्तर क्वालीफाइंग टाइप का ही होता है। प्रत्याशी के भाषा के व्यावहारिक ज्ञान की परख करना मात्र ही इस प्रश्न पत्र का एकमात्र उद्देश्य होता है।

मुख्य परीक्षा

प्रीलियम परीक्षा में सफल प्रत्याशियों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने की अनुमति मिल जाती है। इसमें प्रत्याशियों के भाषा ज्ञान के अतिरिक्त स्वयं को व्यक्त कर पाने की क्षमता की भी जांच की जाती है। उत्तर विस्तृत तरीके से लिखने की बाध्यता होती है। कमोबेश इसी प्रकार का टेस्ट अंकगणित का होता है जिसमें एसिस्टेंट के कार्यों के अनुरूप गणितीय कैलकुलेशन कर पाने की क्षमता को परखा जाता है। इसमें भाषा और गणित पर आधारित दो प्रश्न पत्र होते हैं। इस परीक्षा में २०० अंकों का अंग्रेजी और १०० अंकों का गणित आधारित प्रश्न पत्र होता है।


लैंग्वेज कॉम्प्रिहेंशन :- इसमें ५० अंकों का जनरल अंग्रेजी का एक खंड होता है जबकि शेष १५० अंकों के खंड में कम्युनिकेशन एवं लेखन कौशल पर आधारित प्रश्न शामिल किए जाते हैं। अंकगणित :- कुल सौ अंकों के इस दो घंटे की अवधि के प्रश्न पत्र में भी एलिमेंटरी मैथ्स और सामान्य इस्तेमाल में आने वाले गणितीय अवधारणाओं से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।


गुरुमंत्र
१. अंग्रेजी या हिंदी भाषा की तैयारी के लिए व्याकरण की तैयारी के अलावा रोजाना लिखने की आदत भी डालें।

२. जनरल अवेयरनेस के लिए अखबारों और करंट अफेयर्स पर आधारित पत्रिकाओं को पढ़ने से काफी लाभ मिलता है।

३. लॉजिकल रीजनिंग के लिए सैंपल टेस्ट पेपर्स जितने कर सकें उतना ही फायदा पेपर्स के समय मिलेगा।

४. गणित में आठवीं से दसवीं तक की एनसीईआरटी की टेक्स्ट बुक्स का अभ्यास करने से काफी बुनियादी जानकारी मिल जाएगी।

५. शब्दों के अर्थ के साथ उनके इस्तेमाल का ज्ञान भी होना चाहिए।

६. कैलकुलेशंस के शॉर्टकट फॉर्मूलों को याद करके जाए। इससे समय की काफी बचत होगी।

७. कम समय में अधिक प्रश्नों को करने की बाध्यता को देखते हुए अपने टाइम मैनेजमेंट को दुरुस्त रखें(अशोक सिंह,नई दुनिया,12.12.11)।

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